पुरी. महाधाम पुरी में स्नान वेदी पर महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा ने आज गजवेश में भक्तों को अपने दर्शन दिये. कोरोना के कारण दो साल के बाद भक्तों स्नान पूर्णिमा और गजवेश के अनुष्ठानों में शामिल होने की अनुमति मिली थी. महाप्रभु के गजवेश में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. इससे पहले आज सुबह से स्नान पूर्णिमा की नीतियां आयोजित की गयीं. अनुष्ठान के अनुसार, भगवान श्री जगन्नाथ को स्नान करने के लिए 35 घड़ा, भगवान बलभद्र के लिए 33 घड़ा और देवी सुभद्रा के लिए 22 घड़ा तथा सुदर्शन के लिए 18 घड़ा पानी का उपयोग किया गया. बाद में परंपरा के अनुसार, पुरी के राजा गजपति दिव्य सिंहदेव ने अपने महल से स्नान मंडप का दौरा किया. उन्होंने पुजारियों द्वारा भजनों के जाप के लिए छेरापहंरा किया. उसके बाद भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र के देवताओं ने गजानन वेश में भक्तों को दर्शन दिये.
इस खास गजवेश के पीछे एक किस्सा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अनोखा दर्शन महाराष्ट्र के महागणपति समुदाय के पंडित गणपति भट्ट को 15वीं सदी में मिला था. भट्ट भगवान गणेश के प्रबल भक्त थे और उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पुरी में सदियों पुराने मंदिर आये.
इस स्नान पूर्णिमा के दिन, उन्होंने स्नान मंडप पर ‘चतुर्थ मूर्ति’ (चार मूर्तियाँ) देखीं, लेकिन उनका मोहभंग हो गया, क्योंकि उन्होंने भगवान जगन्नाथ के भीतर अपने पीठासीन देवता भगवान गणेश को देखना चाहा था. हालांकि, भगवान जगन्नाथ को ‘सेवायत’ (मंदिर के सेवक) के रूप में प्रच्छन्न माना जाता है और उन्होंने पंडित भट्ट को श्री मंदिर लौटने के लिए प्रेरित किया. उसी स्नान मंडप पर भगवान गणेश के प्रतिष्ठित दर्शन पाकर वे अभिभूत हो उठे. इसके बाद, देवताओं को हर साल पवित्र अवसर पर आकर्षक ‘गजानन वेश’ या गजवेश में सजाया जाता है.
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