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परिवार के सभी सदस्यों व समर्थकों को भी भुगतनी होगी बहिष्कार की सजा
बालेश्वर. ओडिशा में बालेश्वर जिले के बस्ता प्रखंड के बरुंगड़िया पंचायत में कंगारू कोर्ट ने एक वार्ड सदस्य को बहिष्कृत करने का फैसला सुनाया है. कंगारू कोर्ट की इस सजा को उसके परिवार के सदस्यों और उसके समर्थकों को भी भुगतनी होगी. पीड़ित परिवार एक आदिवासी समुदाय से है. यहां तक कि उन्हें गांव के शिव मंदिर में पूजा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है और कहा गया है कि जो कोई भी उनका समर्थन करेगा या उनसे संपर्क करेगा, उसे 10,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.
बताया गया है कि गोहिरागड़िया गांव पंचायत के वार्ड नंबर 20 में स्थित है. यहां हाल के पंचायत चुनावों में वार्ड सदस्य की सीट एक आदिवासी महिला के लिए आरक्षित थी और वार्ड में केवल एक आदिवासी परिवार रहता था. सरकार के इस फैसले के विरोध में गांव में एक प्रजा अदालत बैठी और आदिवासी परिवार को चुनाव नहीं लड़ने का निर्देश दिया गया. साथ ही आरोप लगाया गया है कि चुनाव में हिस्सा लेने पर उन्हें बहिष्कृत करने की धमकी दी गई थी. हालांकि, इस धमकी को दरकिनार करते हुए वार्ड के पांच परिवारों ने आदिवासी परिवार का समर्थन किया और चुनाव में गिरथ सोरेन को मैदान में उतारा तथा वह निर्विरोध चुनी गईं.
इसके बाद गांव के बुजुर्गों ने एक और कंगारू अदालत लगायी तथा गिरथ सोरेन, उनके परिवार और उनके समर्थकों को बहिष्कृत कर दिया. उन्होंने मामले की सूचना सरपंच व उच्चाधिकारियों को दी है. हालांकि ग्राम प्रधान ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि यह एक राजनीतिक साजिश है. बरुंगड़िया के सरपंच ने कहा कि वह इस मुद्दे को हल करने के लिए ग्रामीणों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
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