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डब्लूएचआरपीओ की जलवायु परिवर्तन व मानवाधिकारों पर कार्यशाला आयोजित
भुवनेश्वर. जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है. विज्ञान जितना अधिक विकसित हो रहा है, पर्यावरण उतना ही खराब होता जा रहा है. मनुष्य का जीवन परिवर्तित होकर जितना अधिक आरामदायक हो रहा है, दुनिया उतना ही विनाश की ओर जा रही है. वर्ल्ड ह्युमन राइट्स प्रोटेक्शन आर्गनाइजेशन (डब्लूएचआरओपीओ) की ओर से जलवायु परिवर्तन व मानवाधिकारों को लेकर आयोजित कार्यशाला में विभिन्न वक्ताओं ने यह बातें कहीं. स्थानीय जयदेव भवन में संस्थान के अध्यक्ष डा अभिन्न होता की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में ग्लोबल एलांयस फार क्लाइमेट एक्शन के वाइस चैयरमैन क्रिश्चियन बसमैन ने कहा कि पूरा विश्व वर्तमान में जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण असंतुलन की बड़ी समस्या से जुझ रहा है. नयी-नयी टेक्नोलाजी के प्रयोग से प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है. इससे पर्यावरण को नुकसान होने के साथ-साथ लोगों को मानव अधिकारों का भी उल्लंघन हो रहा है. जलवायु परिवर्तन महामारी से भी अधिक खतरनाक है. इसके निराकरण के लिए सारा विश्व में अधिक से अधिक शोध किये जाने की आवश्यकता है. कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रुप में तिब्बती संसद के पूर्व अध्यक्ष आचार्य यसी फंसोक ने कहा कि आधुनिक जीवनशैली को अपना कर हम पर्यावरण के संतुलन को बिगाड रहे हैं. यदि इस पर हम नहीं चेते तो भविष्य की पीढ़ी का काफी नुकसान होगा. इस पर तत्काल ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है.
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