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पाजिटिव पाये जाने पर शुरू होगा कांटैक्ट ट्रेसिंग, संगरोध का सिलसिला हो सकता है शुरू
भुवनेश्वर. कोरोना महामारी से अभी तक पूरी तरह से छुटकारा मिला भी नहीं कि मंकीपॉक्स ने अपना दहशत फैलाना शुरू कर दिया है. कोरोना के बाद यह दूसरी बीमारी होगी, जिसके कारण संदिग्ध रोगी को संगरोध में रहना होगा और तब तक रहना होगा, जबकि वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है. चिकित्सकीय सुविधाओं से युक्त संगरोध केंद्र में रोगी को अलवाग किया जायेगा. कोरोना की तरह यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या पशु को संक्रमित कर सकता है. माना जाता है कि मानव से मानव संचरण मुख्य रूप से श्वसन के बूंदों के माध्यम से होता है. मंकीपॉक्स की स्थिति चेचक से मिलती-जुलती है, जो एक संबंधित ऑर्थोपॉक्सवायरस संक्रमण है, जिसे 1980 में दुनिया भर में समाप्त घोषित कर दिया गया था. मंकीपॉक्स चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है. ऊष्मायन अवधि आमतौर पर 7-14 दिनों की होती है, लेकिन यह 5-21 दिनों तक हो सकती है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है. लक्षण, खासकर चकत्तों के दिखने के 1-2 दिन पहले से संक्रमित व्यक्ति इस बीमारी को प्रसारित कर सकता है और तब तक संक्रामक बना रह सकता है, जब तक कि त्वाचा की सभी पपड़ी गिर न जाये. सरकार ने सतर्कता बढ़ाते हुए संक्रमित या संदिग्ध मंकीपॉक्स वाले व्यक्ति या लोगों के साथ संपर्क की रिपोर्ट करने को कहा है. ऐसे सभी रोगियों की सूचना एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के जिला निगरानी अधिकारी को देनी होगी. ऐसे रोगियों का इलाज करते समय सभी संक्रमण नियंत्रण रोकथाम उपायों का पालन किया जाना चाहिए. संदेह के मामले में चकतों से, रक्त, थूक आदि से तरल पदार्थ से युक्त नमूनों को मंकीपॉक्स परीक्षण के लिए एनआईवी पुणे भेजना होगा. सकारात्मक मामले का पता चलने पर पिछले 21 दिनों में रोगी के संपर्कों की पहचान करने के लिए तुरंत संपर्क ट्रेसिंग शुरू की जायेगी. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में होती है और कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में फैल जाती है. यह आमतौर पर चिकित्सकीय रूप से बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ लक्षण दिखता है. इससे कई प्रकार की चिकित्सीय जटिलताएं हो सकती हैं.