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श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के ‘अवैध’ निर्माण को लेकर नवीन अंधेरे में

  •  भाजपा के सांसद जुएल ओराम ने किया दावा

  •  कहा- गुप्त रूप से निर्माण कार्य कर रहे हैं सरकारी अधिकारी

  •  ओडिशा के मुख्यमंत्री को नहीं हो सकती है पूरे मामले की जानकारी

  •  पुरी के सांसद पिनाक मिश्र पर बोला हमला, संसद में झूठी जानकारी देने का आरोप लगाया

भुवनेश्वर. भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद जुएल ओराम ने आज राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों और पुरी के सांसद पर जमकर हमला बोला. उन्होंने दावा किया पुरी में श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के तहत चल रहे अवैध निर्माण कार्य को लेकर मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को जानबूझकर अंधेरे में रखा गया होगा.
पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि सरकारी अधिकारी गुप्त रूप से निर्माण कार्य कर रहे हैं और ओडिशा के मुख्यमंत्री को पूरे मामले की जानकारी नहीं हो सकती है. उन्होंने मांग की कि जब तक अदालत में मामला सुलझ नहीं जाता, निर्माण तत्काल रोक दिया जाना चाहिए. ओराम ने पुरी के सांसद पिनाकी मिश्र पर भी जमकर निशाना साधा और आरोप लगाया कि मिश्र ने संसद में झूठ बोला है कि निषिद्ध क्षेत्र में कुछ शौचालयों के अलावा कुछ भी नहीं बनाया जा रहा है, लेकिन मौके पर बहुत सारे अवैध निर्माण चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम जल्द ही अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को इस मुद्दे से अवगत करायेंगे. हम राज्य सरकार को श्रीमंदिर की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं करने देंगे. उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सोमवार को खुलासा किया कि श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के तहत निर्माण के दौरान खुदाई और मिट्टी हटाने के काम ने विरासत स्थल के पुरातात्विक अवशेषों को नष्ट कर दिया होगा. राज्य के उच्च न्यायालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में एएसआई ने कहा था कि इसके लिए कोई अनुमति नहीं दी गयी थी. बताया गया कि संयुक्त निरीक्षण के बाद ओडिशा ब्रिज एंड कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओबीसीसी) और श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के अधिकारियों के साथ ऑनसाइट चर्चा के दौरान यह पाया गया कि चल रहे निर्माण कार्य श्री मंदिर परिक्रमा परियोजना के पास सक्षम प्राधिकारियों द्वारा जारी कोई वैध अनुमति या एनओसी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक, एएसआई ने हाई कोर्ट की बेंच के सामने एक हलफनामे में स्पष्ट किया कि उसने प्राचीन स्मारकों और प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के दिशानिर्देशों के अनुसार जगन्नाथ मंदिर के आसपास 100 मीटर के निषिद्ध क्षेत्र में किसी भी प्रकार के उत्खनन या निर्माण कार्य की अनुमति नहीं दी थी.

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