भुवनेश्वर. ओडिशा में साल 2025 तक 1,000 ब्रिज-कम-वाटर वायर स्ट्रक्चर स्थापित किये जायेंगे. यह जानकारी आज यहां आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान दी गयी. राज्य मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्र ने हाल ही में राज्यभर में विभिन्न स्थानों पर ब्रिज-कम-वाटर वायर स्ट्रक्चर की प्रभावशीलता की समीक्षा की थी. इन संरचनाओं की समीक्षा के महापात्र ने निर्माण विभाग को पूरे राज्य में प्रौद्योगिकी की प्रतिकृति को बढ़ाने का निर्देश दिया है. आज यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्य सचिव ने सचिव (निर्माण) वीर विक्रम यादव को ओडिशा के विभिन्न हिस्सों में समान संरचनाओं के निर्माण की दिशा में कदम उठाने के लिए कहा. यादव ने बैठक में चर्चा के लिए तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं की रूपरेखा तैयार की.
कुछ जिलों में शुरू किये गये ब्रिज-कम-वाटर वायर स्ट्रक्चरों की जलधारण क्षमता की समीक्षा करते हुए महापात्र ने कहा कि यह भूजल पुनर्भरण, नदी के तल में जलस्तर को बढ़ाने, उपजाऊ भूमि की सिंचाई जैसी कई उपयोगिताओं के साथ सबसे अधिक लागत प्रभावी तकनीक है.
बैठक में विकास आयुक्त प्रदीप कुमार जेना ने कहा कि चेक डैम-कम-वाटर वायर का संबंधित नदी या नहरों में पानी के सामान्य प्रवाह पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि यह 1.5 मीटर की ऊंचाई से अधिक प्रवाह की अनुमति देता है. जेना ने कहा कि संरचनाओं को दो अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है, जैसे कि स्वचालित गेट प्रावधान, या सादे जल धारण संरचना को अनुमेय ऊंचाई तक. दोनों तरीके हमारे राज्य के लिए प्रभावी साबित हुए. जेना ने कहा कि निर्माण विभाग को उन सभी सड़कों पर उच्चस्तरीय पुलों की पहचान करने के लिए कहा गया है, जहां ऐसी संरचना संभव होगी. विभाग इस उद्देश्य के लिए 3 साल की संभावित योजना तैयार करेगा और आने वाले तीन वर्षों में 1000 ऐसे पुल-सह-पानी के तार संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. यादव ने बताया कि इस तरह के ढांचे के लिए पायलट आधार पर करीब 49 पुल बनाये गये हैं. इसमें से 12 पुलों के नीचे के ढांचे का निर्माण पूरा कर लिया गया है.
फिलहाल वाटर वायर कई जगहों पर उपलब्ध हैं. सुरेश महापात्र ने जल संसाधन विभाग को नहरों और नदियों के दोनों किनारों पर सिंचाई के लिए भंडारित पानी की आपूर्ति करने का निर्देश दिया, जहां ऐसी संरचनाएं लिफ्ट-प्वाइंट पाइप के माध्यम से पूरी की गई थीं. बागवानी विभाग को किसानों को सब्जियों और नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए कहा गया है. पानी का उपयोग जहां कहीं आवश्यक हो, पेयजल परियोजनाओं के लिए भी किया जा सकता है.
निर्माण विभाग के इंजीनियरों को शेष 37 पुलों में वाटर वायर संरचनाओं का निर्माण युद्ध स्तर पर पूरा करने के लिए कहा गया है. ये संरचनाएं अनुगूल, ढेंकानाल, जाजपुर, गंजाम, केंदुझर, कलाहांडी, बलांगीर और सुंदरगढ़ जिलों में बनाई जाएंगी. निर्माण विभाग के विशेष सचिव एवं मुख्य अभियंता मनोरंजन मिश्र ने बताया कि एक मीटर वाटर-वायर के निर्माण में लगभग 1.5 लाख रुपये की लागत आती है. यह लगभग 1000 क्यूबिक मीटर का जल स्तर धारण कर सकता है. तीस मीटर के पुल के नीचे वाटर वायर में एक विशेष समय में 30,000 क्यूबिक मीटर पानी रह सकता है. बैठक में अपर मुख्य सचिव जल संसाधन अनु गर्ग, प्रमुख सचिव वित्त विशाल कुमार देव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.