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ओडिशा में स्कूली वाहनों को चलाने के लिए पांच साल अनुभव अनिवार्य, नई गाइडलाइन जारी

  •  वाहनों और चालकों के लिए कई कड़े मापदंड लागू

  •  सप्ताहभर के विशेष अभियान के आंकड़ों ने बच्चों की सुरक्षा सवालिया निशान लगाया

  •  करीब 1096 वाहनों पर लगा जुर्माना, 820 वाहन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के चलते पाये गये

  •  387 वाहनों के पास नहीं थे वैध परमिट, 311 ड्राइवरों के पास नहीं था कोई वैध ड्राइविंग लाइसेंस

भुवनेश्वर. ओडिशा में अब स्कूली वाहनों को चलाने वाले चालकों के लिए पांच साल के ड्राविंग अनुभवन को अनिर्वाय कर दिया गया है. इतना ही नहीं, चालक को न तो शराब पीनी होगी और ना ही तीव्र गति से वाहन को चलाना होगा और ना ही ट्रैफिक नियमों को तोड़ना होगा. नियमों का उल्लंघन करना उनको महंगा पड़ सकता है.
ओडिशा राज्य परिवहन विभाग द्वारा सप्ताहभर चलाये गये विशेष अभियान के आंकड़ों ने जहां बच्चों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है, वहीं विभाग ने अब स्कूली वाहनों के लिए गाइडलाइन जारी किया है. इसमें स्कूली वाहनों की सुरक्षा को लेकर कई तरह के कड़े मापदंड तय किये गये हैं. स्कूल वाहन चालकों के लिए भी कई कड़े नियम लगाये गये हैं. पिछले सात दिनों में सड़क सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करने पर अब तक राज्य में स्कूली छात्रों को ले जाने में लगे करीब 1096 वाहनों पर जुर्माना लगाया गया है. राज्य परिवहन प्राधिकरण (एसटीए) द्वारा साझा किये गये आंकड़ों के अनुसार, निरीक्षण अभियान के दौरान कम से कम 820 वाहन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के चलते पाये गये, जबकि 387 वाहनों के पास वैध परमिट नहीं थे. इतना ही नहीं, 311 ड्राइवरों के पास कोई वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं थे. हालात को देखते हुए अब विभाग ने गाइडलाइन जारी किया है. अब नियमों के अनुसार, छात्रों को परिवहन के लिए ठेका या किराये के आधार पर बसों को लगाने वाले स्कूलों को नये शर्तों का पालन करना होगा. उन्हें इन वाहनों की सुरक्षा ऑडिट भी करने की आवश्यकता होगी.
दिशानिर्देश में कहा गया है कि स्कूली बच्चों को लाने-ले जाने में लगे सभी वाहनों में सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस ट्रैकर, प्राथमिक चिकित्सा बॉक्स, उचित ग्रिल, आपातकालीन निकास और आग बुझाने का यंत्र होने चाहिए. उन्हें छात्रों और उनके माता-पिता के नाम और संपर्क नंबरों की एक सूची बनाये रखनी चाहिए. बस में स्कूल का एक अटेंडेंट होना चाहिए. वाहनों में ओवरलोडिंग की अनुमति नहीं होगी. बस में बच्चों की संख्या उसके बैठने की क्षमता तक सीमित होगी. स्कूली छात्रों को ले जाने वाली स्कूली बसों और तिपहिया वाहनों की वहन क्षमता वाहन के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रदर्शित करनी होगी. वाहनों के परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले हल्के वाहनों को भी सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा. ऐसे सभी वाहनों में वाहनों के आगे और पीछे एक विशिष्ट स्थान पर ‘स्कूल वैन’ या ‘स्कूल ड्यूटी पर’ लिखा होना चाहिए. इसके अलावा, बिना योग्यता वाले कोई भी व्यक्ति गाड़ी नहीं चलायेगा या कोई स्कूल प्राधिकरण भी ऐसे किसी भी व्यक्ति को स्कूल बस चलाने की अनुमति नहीं देगा. चालकों के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए. उसके पास समान श्रेणी के वाहन में कम से कम 5 वर्ष का ड्राइविंग अनुभव होना चाहिए. इतना ही नहीं, ऐसे ही व्यक्ति को स्कूल वाहन चलाने की अनुमति मिलेगी, जिन पर वर्ष में दो बार से अधिक जुर्माना नहीं लगा होगा. खासकर ट्रैफिक नियमों को तोड़ने या लाल बत्ती पार करने, लेन अनुशासन के उल्लंघन या अनाधिकृत व्यक्ति को गाड़ी चलाने की अनुमति देने जैसे अपराधों के लिए उस पर वर्ष में दो बार से अधिक जुर्माना नहीं लगा होना चाहिए. अधिक तीव्र गति, शराब पीकर गाड़ी चलाने और खतरनाक ड्राइविंग के परिणामस्वरूप घातक दुर्घटना के अपराधों के लिए उनका कभी भी चालान या जुर्माना नहीं लगा होना चाहिए. स्कूली वाहन चालकों को वर्ष में एक बार स्कूल स्तरीय परिवहन समिति के समक्ष ड्राइविंग कौशल परीक्षण से गुजरना होगा. उस समय उनकी आंखों की जांच भी करानी होगी.

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