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आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने किया कोटिया का दौरा, विवाद को दिया हवा

  •  कोटिया ओडिशा का अभिन्न हिस्सा – विधायक पीतम

  •  कहा-हर प्रयास का होगा विरोध

भुवनेश्वर. आंध्र प्रदेश ने एक बार फिर कोरापुट जिले के विवादित कोटिया क्षेत्र के गांवों में घुसपैठ करते हुए विवाद को हवा दे दिया है. हालांकि इस दौरान आंध्र प्रदेश सरकार के अधिकारियों को स्थानीय लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा है. इतना ही नहीं पटांगी विधायक ने भी इसका जोरदार विरोध किया है.
बताया जाता है कि पड़ोसी राज्य के सरकारी अधिकारियों ने कोरापुट की विवादास्पद पंचायत में घुसपैठ करके मासूम ग्रामीणों को अलग-अलग पैकेज से लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, पड़ोसी राज्यों के संबंधित अधिकारियों ने परियोजना के बारे में जानकारी देने के लिए कोटिया पंचायत के अपरसेम्बी गांव में स्थित एक आंगनबाड़ी केंद्र की दीवारों पर सूक्ष्म जल-डायवर्जन परियोजना का मानचित्र का चित्रण किया है. इस बीच आंध्र प्रदेश के कई सरकारी अधिकारियों ने एक आंगनबाड़ी केंद्र के निर्माण कार्यों का जायजा लेने के लिए फागुन सिनेरी का दौरा भी किया. हालांकि ग्रामीणों ने अधिकारियों का विरोध किया.
यह पहला मामला नहीं है जब पड़ोसी राज्य के सरकारी अधिकारी अलग-अलग मौकों पर सीमावर्ती गांवों में घुसपैठ कर रहे हैं. जगनमोहन रेड्डी सरकार राज्य के क्षेत्र के विस्तार की इच्छा से ऐसा कर रही है तथा विवाद को जन्म दे रही है. सरकारी अधिकारी कोटिया क्षेत्र के गांवों पर नियंत्रण हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि कोटिया में अस्पताल या कॉलेज बनाना पर्याप्त नहीं है. उचित शिक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए जरूरी काम किया जाना चाहिए. यहां तक कि सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिलनी चाहिए. इसके अलावा निवासियों को रोजगार के बारे में सुनिश्चित करना चाहिए. यदि स्थानीय निवासियों को ये सुविधाएं मिलती हैं, वे आंध्र सरकार द्वारा पेश की गई योजनाओं की ओर आकर्षित नहीं होंगे. इस बीच कोटिया के जिला परिषद सदस्य टिकाई जेमेल ने कहा कि मैं हमारी सरकार से आंध्र प्रदेश की तरह ही हर घर को चावल और पेंशन मुहैया कराने का अनुरोध करूंगा.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले पड़ोसी राज्य ने विवादित पंचायत के 28 गांवों को अपने नये सीमांकित नक्शे में जोड़ा था. इससे विवाद को नये रूप से जन्म दिया था. आंध्र सरकार द्वारा जारी नए नक्शे के अनुसार, कोटिया क्षेत्र के 28 गांवों और 12 अन्य स्थानों ने नवनिर्मित पार्वतीपुरम मान्यम जिले में अपना स्थान पाया है. तेलुगु में मान्यम का मतलब पिछड़ा क्षेत्र होता है.
एक आदिवासी नेता जयराम पांगी ने कहा कि आंध्र प्रदेश का जिला प्रशासन सीमावर्ती गांवों पर कब्जा करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. सलूर विधायक के उपमुख्यमंत्री बनने के बाद प्रयास तेज कर दिये गये हैं. ओडिशा सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए मुख्य ध्यान देना चाहिए. इस बीच पटांगी विधायक पीतम पाढ़ी ने कहा कि जो भी योजना होगी, उसका विरोध किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कोटिया ओडिशा का एक अभिन्न हिस्सा है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे अपने जिलों के गांवों को शामिल करते हैं. यहां तक कि अगर कोई विधायक, उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री या राज्यपाल कब्जा करने की योजना बनाते हैं तो यह चिंता का विषय नहीं है. यह ओडिशा का हिस्सा है और रहेगा.

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