पुरी. पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर की चारों तरफ गैर कानूनी तौर पर खुदाई और निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई है। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भारतीय भुगोलिय सर्वेक्षण संस्थान यानी ए एस आई को हलफनामा दाखिल करने के लिए निर्देश जारी किया है। याचिका में दर्शाए जाने वाली गैर कानूनी खुदाई और निर्माण संबंधित आरोप के उपर जायजा लेने के बाद ए एस आई हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगा। इस कार्य के चलते श्रीजगन्नाथ मंदिर के प्रति खतरा मंडरा रहा है। यह बात याचिकाकर्ता की ओर से शंका जताया है। ऐसे में इस संबंध में एएसआई हाईकोर्ट में हलफनामा के जरिए अपना पक्ष रखेगा। वर्तमान चलने वाली इस निर्माण कार्य का संयुक्त तौर पर चाहे तो ए एस आई जयेजा ले सकेगा। यह बात अपने निर्देश में स्पष्ट किया है हाईकोर्ट ने। श्री मंदिर प्रशासन को पहले से ही अवगत कर एएसआई संयुक्त तौर पर जायजा ले सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई अप्रैल 21 तारीख को टाल दिया गया है। इस तारीख से 3 दिन पहले एएसआई की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करना होगा। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ जस्टिस एस.मुरलीधर और जस्टिस आर.के पटनायक को लेकर गठित खंडपीठ ने इस संबंधित याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई के समय शुक्रवार को याचिकाकर्ता दिलीप कुमार बराल की ओर से अदालत में यह दर्शाया गया था की, आनसीएन्ट मनुमेंट एंड आर्कियोलॉजिकल साईटस एंड रिमेंस एक्ट 1958 और आनसीएन्ट मॉन्यूमेंट एंड आर्कलॉजिकल साइट्स एंड रीमेंस (अमेंडमेंट एन्ड वैलिडेशन) 2010 का उल्लंघन कर श्री जगन्नाथ मंदिर के चारों तरफ चलने वाली निर्माण कार्य के चलते इस प्राचीन मंदिर की तरफ खतरा मंडरा रहा है। उस खुदाई और निर्माण कार्य के चलते मंदिर के कुछ जगहों पर दरारें पैदा हुई है। यह आरोप याचिका में लायाया गया है। ऐसे में इस निर्माण कार्य को तुरंत बंद करना जरूरी है। दूसरी और राज्य सरकार एवं श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से 2019 में सुप्रीम कोर्ट में मृणालिनी पाढ़ी बनाम केंद्र सरकार मामले में प्रदान करने वाली राय संबंध में हाईकोर्ट का ध्यान केंद्रित की गई थी। उस राय में श्री जगन्नाथ मंदिर को रोजाना दर्शन के लिए आने वाले करीब 60हजार श्रद्धालुयों की बुनियादी सुविधा एवं दूसरे मुद्दे पर विशेष तौर पर जिक्र की गई है। श्री जगन्नाथ मंदिर में भक्तों की सुविधा एवं दूसरे पर अहम निर्देश जारी किया था सुप्रीम कोर्ट ने। अभी तक वह मामला सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है। इसके साथ साथ राज्य सरकार और नेशनल मॉन्यूमेंट अथॉरिटी के बीच अक्षर की जाने वाली तथ्य और आदान प्रदान के बारे में हाईकोर्ट का ध्यान केंद्रित किया गया।निषिद्ध इलके में निर्माण, मरम्मत और नवीकरण कार्य के लिए नेशनल मोनुमेंट अथॉरिटी इजाजत दिया है, यह बात राज्य सरकार की ओर से अदालत में दर्शाया गया था। इसके अलावा एएसआई राज्य सरकार के बीच के संबंध में होने वाली तथ्य का लेनदेन एवं फरवरी 22 तारीख को एएसआई डीजी की दौरा संबंधित तमाम तथ्य सरकार की ओर से कोर्ट में पेश की गई थी। ठीक इसी प्रकार निर्माण कार्य चलने हेतु श्री जगन्नाथ मंदिर के तरफ खतरा मंडराने की बात को दर्शाते हुए व इसमें हाईकोर्ट हस्तक्षेप करने की गुहार लगाते हुए याचिकाकर्ता की ओर से अहम बातों को अदालत में दर्शाया गया था। याचिकाकर्ता की ओर से वकील अनूप कुमार महापात्र और बिंदुसार सुबुद्धि मामला संचालन कर रहे थे। दूसरी ओर इस मामले में राज्य प्रमुख शासन सचिव, कानून सचिव,ए एस आई डीजी,ए एस आई की भुवनेश्वर कार्यालय, श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन, श्री जगन्नाथ मंदिर संचालन समिति प्रमुख को मामले में पक्ष बनाया गया है।
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