भुवनेश्वर। महाश्रमण के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी ने किराना व्यापारियों को तेरापंथ भवन में संक्षिप्त व सारभूत संबोधिन किया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार ने कहा कि दुनिया में तीन शक्तियां हैं। अध्यात्म की, सत्ता की, घन की। इन तीन में सर्वश्रेष्ठ व महत्त्वपूर्ण शक्ति है अध्यात्म की। अध्यात्म की शक्ति अद्वितीय व अनुपम है। अध्यात्म का अर्थ है आत्मा के आस-पास रहना। आत्मा के आस पास रहना के लिए आचार्य महाश्रमण ने अहिंसा यात्रा के जरिये तीन बाते बताई है- सद्भावना, नैतिकता नशामुक्ति व्यक्ति किसी भी सम्प्रदाय का है, लेकिन असाम्प्रदायिक भाव रखें। विचारों में संकीर्णता नहीं उदारता रहे। वैचारिक मत भेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। दुराग्रह से बचना चाहिए। मन को स्वस्थ रखना चाहिए। नैतिकता जीवन की अमूल्य निधि है। हर प्रवृत्ति में ईमानदारी प्रामाणिकता, नैतिकता होनी चाहिए। धोखाधड़ी से बचना चाहिए। अनीति की कुमाई सुखद नहीं दुःखद होती है, नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा देते हुए मुनि ने कहा कि व्यक्ति नशा का गुलाम न बने, नशे से नाना प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। नशा से शान चली जाती है। प्रतिष्ठा को धक्का लगता है। एक तरह से यह एक सामाजिक बुराई है। नशा से धन व धर्म दोनों का विनाश होता है। नशे से व्यक्ति भीतर से खोखला हो जाता है। मुनि ने आगे कहा कि व्यापारी समाज का अभिन्न अंग है। व्यापारी के पास बुद्धि होती है। वह बुद्धि का सद्उपयोग करें न कि दुरुपयोग करें। व्यापारी ग्राहक के साथ अच्छा व्यवहार रखें, मधुर बोले, धोखा बाजी न करें। इस अवसर पर अखिल भारतीय किराना मर्चेन्ट के अध्यक्ष खेडेलवाल ने विचार रखा। मुनि श्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष बच्छराज बेताला ने विचार रखे व मंत्री पारस सुराणा ने मुनि का परिचय दिया। इस अवसर पर मुनि परमानंद व मुनि कुणाल कुमार आदि लोग उपस्थित थे।
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