भुवनेश्वर. स्थानीय जयदेव भवन में जाने-माने ओड़िया लेखक, कवि, टीकाकार तथा फनकार डा. अन्तर्यामी मिश्र द्वारा लिखित गीतांजलि का ओड़िया अनुवाद तथा यादें नई पुरानी हिन्दी गजल संग्रह का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर मंचासीन थे प्रोफेसर संतोष त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, ओड़िया, उत्कल विश्वविद्यालय, अशोक पाण्डेय, अवकाशप्राप्त प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय नं-6, पोखरीपुट, भुवनेश्वर, प्रदोष पटनायक, वरिष्ठ पत्रकार तथा भूतपूर्व सम्पादक ओड़िया दैनिक, दिलीप हाली ओड़िया सीने क्रिटीक, परशुराम पण्डा, सीजीएम बैंक आफ इण्डिया, कवि डा अन्तर्यामी मिश्र, गुरु श्री रामहरि दास, सीनियर ओडिशी वोकलीस्ट तथा प्रेमलता मिश्रा. गौरतलब है कि यह लोकार्पण समारोह तथा संगीत समारोह डा अन्तर्यामी मिश्र तथा उनकी पत्नी प्रेमलता मिश्रा के सुखी वैवाहिक जीवन की स्वर्णजयंती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. लोकार्पण गीतांजलि का ओड़िया अनुवाद के समीक्षक प्रोफेसर संतोष त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, ओड़िया, उत्कल विश्वविद्यालय ने बताया कि वैसे तो गीतांजलि का ओड़िया अनुवाद बहुत हुआ है, लेकिन अनुवादक डा.अन्तर्यामी मिश्र का यह अनुवाद गीतांजलि की मूल संवेदना की वास्तविक अभिव्यक्ति है, जिसके लिए डा मिश्र बधाई के पात्र हैं. यादें नई- पुरानी हिन्दी गजल संग्रह के समीक्षक अशोक पाण्डेय ने अपनी समीक्षा में यह बताया कि एक अहिन्दीभाषी होते हुए भी डा.अन्तर्यामी मिश्र ने अपने गजल संग्रह में गागर में सागर भर दिया है. वे सचमुच रसेश्वर हैं, जिनके पास कमाल की बहुआयामी प्रतिभा है. एक सफल फनकार की संवेदना है. गजल-संग्रह में छठी शताब्दी से चली आ रही गजल परम्परा के सभी आयामों का इसमें ध्यान रखा गया हैं. कार्यक्रम के अंत में डा. अन्तर्यामी मिश्र ने आमंत्रित सभी के प्रति आभार जताया.
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