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27 जनवरी से 4 फरवरी के बीच 241 नमूनों का जीनोम अनुक्रमण किया गया
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98 प्रतिशत में ओमिक्रॉन के संस्करण पाये गये, डेल्टा के सिर्फ छह मामले मिले
भुवनेश्वर. अत्यधिक तीव्र संक्रामक ओमिक्रॉन ने ओडिशा में डेल्टा संस्करण की जगह ले ली है. इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस), भुवनेश्वर की नवीनतम जीनोम अनुक्रमण रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट के अनुसार, 27 जनवरी से 4 फरवरी, 2022 के बीच 241 नमूनों की जीनोम अनुक्रमण किया गया था. इनमें से 235 नमूनों में ओमिक्रॉन का पता चला था, जबकि डेल्टा संस्करण केवल 6 नमूनों में पाया गया था. ओडिशा के 18 जिलों से एकत्र किए गए कुल नमूनों के 98 प्रतिशत में ओमिक्रॉन के संस्करण पाये गये थे. बताया गया है कि ओमाइक्रोन कुल मामलों में से छह में बीए.1, 12 में बीए.1.1 और 217 में बीए.2 ओमिक्रॉन के उप-संस्करण पाए गए हैं.
अनुगूल जिले से प्राप्त 14 नमूनों में से 13 नमूने में ओमिक्रॉन बीए.2 संस्करण के प्रकार के पाए गए. इसी तरह कटक जिले से प्राप्त सभी 30 नमूनों में ओमिक्रॉन पाया गया. खुर्दा जिले के 49 नमूनों में से 45 में ओमिक्रॉन की पुष्टि हुई थी.
इसके अलावा खुर्दा, नयागढ़ और पुरी जिले में दो गैर-ओमिक्रॉन मामले दर्ज किए गए थे. गंजाम जिले के सभी 47 नमूने, गजपति के 16 और जगतसिंहपुर जिले के 12 नमूने ओमिक्रॉन से संक्रमित पाए गए थे.
स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक, विजय महापात्र ने यहां कहा कि आईएलएस में जीनोम अनुक्रमण के लिए भेजे गए कुल नमूनों में से लगभग 98 प्रतिशत में ओमिक्रॉन संस्करण की उपस्थिति पाई गई है. हालांकि यह एक सर्वेक्षण नहीं था. हम इसे व्यापक दृष्टिकोण से देख सकते हैं और यह राज्य में ओमिक्रॉन संस्करण की एक बड़ी मौजूदगी को दर्शाता है. हालांकि यह राज्य के लिए अच्छी खबर है कि गंभीर कोविद रोगियों की संख्या में कमी आएगी और दैनिक मामलों में भी बहुत तेजी से कमी आएगी.