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9 लाख रुपये का जिंदा बज्रकाप्ता जब्त, डील करते समय व्यापारी को क्राइमब्रांच एसटीएफ ने दबोचा

  • 2020 से वन्यजंतु अपराधियों के खिलाफ क्राइमब्रांच एसटीएफ की तरफ से शुरू की गई है स्पेशल ड्राइव

  • अब तक दबोचे जा चुके हैं 57 शिकारी, शिकारियों के आका तक नहीं पहुंच पा रही है क्राइमब्रांच एसटीएफ: वन विभाग की कार्यशैली पर भी उठ रहे हैं सवाल


भुवनेश्वर. क्राइमब्रांच स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक और जंगल शिकारी को दबोचा है। कोरापुट जिले के जारीगुम्मा मार्ग के किनारे बज्रकाप्ता को लेकर डील करते समय एसटीएफ टीम ने व्यापारी को रंगे हाथ पकड़ लिया। जिंदा बज्रकाप्ता पकड़ने एवं बिक्री करने के आरोप में एसटीएफ ने दो व्यापारियों को गिरफ्तार करने के साथ ही बज्रकाप्ता को जब्त कर वन विभाग को सौंप दिया है।
खबर के मुताबिक क्राइमब्रांच एसटीएफ इन दिनों आपरेशन जंगल तस्करी चला रही है। इसी के तहत एसटीएफ के कब्जे में दो शिकारी पकड़े गए हैं। इस बज्रकाप्ता की कीमत 9 लाख रुपये आंकी गई है। एसटीएफ टीम ने व्यापारी का वेश बनाकर इन दोनों तस्करों को दबोच लिया। वन्यजंतु माफिया पैसे की लालच में निरीह जंतुओं का जीवन ले रहे हैं। कभी शिकार कर बाघ की छाल का चोरी से चालान कर रहे हैं तो कभी जिंदे बज्रकाप्ता बेचकर लाखों रुपये कमा रहे हैं। ओड़िशा से चीन तक इन शिकारियों के तार फैले हुए हैं। कोरापुट-बोरीगुम्मा मार्ग पर व्यापारी को यह बज्रकाप्ता बेचने के लिए बैठे हुए थे। इसकी सूचना मिलने के बाद वन विभाग की मदद से क्राइमब्रांच एसटीएफ ने इन्हें दबोच लिया।
गिरफ्तार होने वाले दोनों अपराधियों का नाम माधव परिजा एवं जगबंधु परिजा है। ये दोनों कब से यह कारोबार कर रहे थे, अब तक कितने शिकार कर चुके हैं, किस व्यापारी को बेच रहे थे, इन तमाम विषयों पर एसटीएफ ने अब छानबीन शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि 2020 से वन्यजंतु अपराधियों के खिलाफ क्राइमब्रांच एसटीएफ की तरफ से स्पेशल ड्राइव शुरू की गई है। इस दौरान अब तक 25 बाघ की छाल, 13 हाथी के दांत, 7 हिरन की छाल, 11 जिंदा बज्रकाप्ता एवं 16 किलोग्राम से अधिक बज्रकाप्ता काती (चमड़ा) को जब्त किया गया है। एसटीएफ ने इस दौरान कुल 57 वन्यजंतु अपराधियों को गिरफ्तार किया है। बज्रकाप्ता के व्यापार के पीछे अंतर्राज्यीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर का रैकेट काम कर रहा है। हालांकि एसटीएफ टीम अभी तक मास्टर माइंड तक नहीं पहुंच पायी है। वहीं वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

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