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संक्रमण से उबरने के बाद विकसित हो रही हैं अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
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कोरोना टीका के दोनों डोज लेने वाले लोग भी अछूते नहीं
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एम्स भुवनेश्वर की टीम ने अध्ययन के बाद किया खुलासा
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राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच चिंता की लकीरें बढ़ीं
भुवनेश्वर. ओडिशा में कोरोना और ओमिक्रॉन के बरपते कहर के बीच अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भुवनेश्वर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किए गए हालिया रहस्योद्घाटन ने कोविद संक्रमित व्यक्तियों को लेकर चिंताओं बढ़ा दी है. राज्य में वर्तमान में कोरोनो वायरस और ओमिक्रॉन के मामलों में भारी उछाल जारी है.
अध्ययन के अनुसार, राज्य में कोविद से ठीक हुए हर तीन में से एक मरीज लंबे समय से कोविद से जुड़ी कठिन जटिलताओं से पीड़ित है. लंबे समय तक कोविद के प्रभाव वाले व्यक्ति के वायरस के संक्रमण से उबरने के बाद उसमें कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं विकसित हो रही हैं.
विशेषज्ञों ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों को अपने विषय में शामिल करते हुए शोध किया था, जिन्हें पहले आरटीपीसीआर जांच के दौरान कोविद पाजिटिव पाया गया था. अध्ययन सार्स-कोव-2 संक्रमण के पुष्ट मामलों के बीच व्यापकता का अनुमान लगाने और लंबे कोविद की विशेषताओं और भविष्यवाणियों की पुष्टि करने के लिए आयोजित किया गया था.
अध्ययन से पता चला है कि कोविद-19 के बाद लंबे समय तक रहने वाली या लंबी अवधि की जटिलताएं स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं.
एम्स के विशेषज्ञों ने अप्रैल और सितंबर 2021 के बीच कोविद-19 से स्वस्थ होने वाले 487 व्यक्तियों को शामिल करते हुए एक सर्वेक्षण किया. अध्ययन के अनुसार, वायरस से उबर चुके लगभग 29.2% व्यक्ति ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक कोविद की चपेट में हैं. अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक रहने वाले लोगों में थकान, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, गंध और स्वाद का पता न लगा पाना, जलन और दिमागी धुंध जैसे लक्षण विकसित होते हैं.
हल्के व मध्यम संक्रमण वाले रोगियों में लंबे समय तक कोविद का प्रसार 23.4% था, जबकि गंभीर मामलों में यह 62.5% था. अध्ययन में पाया गया कि सबसे आम तौर पर लंबे समय तक रहने वाले कोविद के लक्षण थकान (64.8%) के बाद खांसी (32.4%) हैं.
इसके अलावा, लगभग 34% लोग, जिन्हें टीकों की दोहरी खुराक मिली है, उनमें भी लंबी कोविद जटिलताएं विकसित हुई हैं.
एम्स के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि लॉन्ग कोविद की पहचान उन जटिलताओं के रूप में की जाती है, जो कोविद संक्रमण से उबरने के बाद भी जारी रहती हैं. लंबे कोविद वाले लोग ठीक होने के एक महीने बाद भी लक्षणों के साथ जारी हैं और कुछ अन्य लक्षण भी विकसित कर रहे हैं.
इस बीच, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि डेल्टा संस्करण के प्रकोप के दौरान लंबे कोविद के लक्षण देखे गए थे. हालांकि, जैसे-जैसे ओमिक्रॉन के मामले बढ़ रहे हैं, नए संस्करण से लॉन्ग कोविद के ऐसे कोई लक्षण सामने नहीं आए हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ नीरज मिश्रा ने कहा कि हमें मौजूदा स्थिति के दौरान आशावादी बने रहना चाहिए. लोगों को लंबे कोविद की जटिलताओं से चिंतित नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह केवल थोड़े समय के लिए जारी रहेगा. शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी मजबूत है, जो क्षतिग्रस्त फेफड़ों को पूरी तरह से ठीक कर सकती है. फिलहाल, हमें घबराना नहीं चाहिए.