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विधवा बनी महादानी, कोरोना संकट में मिली मदद की शेष राशि दान की

  • मुख्यमंत्री राहत कोष में 30 लाख रुपये और जिला रेड क्रॉस फंड में 10 लाख रुपये दान कर पेश किया मिसाल

भद्रक. कोरोना महामारी की दूसरी लहर में अपनी पति को खोने वाली एक महिला ने अपनी ममता का प्रदर्शन करते हुए दान मिली की बाकी राशि को समाज के हित में प्रयोग के लिए दान कर दिया. उसके इस महादान के चर्चे हो रहे हैं. उसके इस कमद ने समाज में लोगों के लिए मिसाल कायम किया है. कोरोना की विनाशकारी दूसरी लहर ने राज्य में बच्चों से कई पिता, बुजुर्ग माता-पिता के बेटे, पतियों से पत्नियों और पत्नियों से पतियों को छीन लिया है. करोड़ों परिवार बर्बाद हो गए हैं और वे अभी भी उन अविस्मरणीय यादों से निपटने की कोशिश कर रहे हैं.

भद्रक जिले के बासुदेवपुर की मौसुमी महापात्र का परिवार उनमें से एक है. मौसमी ने अपने पति अभिषेक महापात्र को पिछले साल मई में कोविद-19 के कारण खो दिया था. उस समय उनकी आर्थिक स्थिति खराब थी. उन्होंने इस आर्थिक संकट में अपने कोरोना पाजिटिव पति को बचाने के लिए दान के लिए अनुरोध किया था. यह अपील ने खूब सुर्खियां बटोरीं. अभिषेक अपनी शादी के आठ दिन बाद ही कोरोना पाजिटिव हुए थे. इस कारण लोगों को स्नेह भी मिला. उनके पति के इलाज के समय कई लोगों ने उनकी दिल दहला देने वाली अपील का जवाब दिया और खुले हाथ से दान करने के लिए आगे आए, लेकिन कुदरत के आगे कुछ भी नहीं चलता है. कई दयालु व्यक्तियों से दान के रूप में प्राप्त धन उसके पति को नहीं बचा सका. ऐसी स्थिति में इस विधवा ने बची हुई राशि समाज को वापस करने का फैसला किया. सोमवार को मौसमी ने मुख्यमंत्री राहत कोष  में 30 लाख रुपये और जिला रेड क्रॉस फंड में 10 लाख रुपये का दान दिया और दूसरों के लिए एक मिसाल पेश किया.

अभिषेक को शादी के एक हफ्ते बाद ही पाजिटिव हो गया था और ईसीएमओ उपचार सुविधा की आवश्यकता थी. उन्हें राज्य से बाहर एयरलिफ्ट करना पड़ा और इलाज महंगा था. इस कारण कोई विकल्प नहीं बचा होने पर नवविवाहित मौसमी ने जनता से वित्तीय सहायता देने का अनुरोध किया ताकि उनके बीमार पति को कोलकाता ले जाया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके. धन उगाहने का अभियान शुरू किया गया था. अभिनेता बॉबी मिश्र ने भी लोगों से बेहद संकट में परिवार की मदद करने की अपील की थी. फिर चंदा मिलना शुरू हो गया और अंत में अभिषेक को 7 जून को कोलकाता ले जाया गया, लेकिन उसके बाद जो हुआ वह लोगों को झकझोर कर दिया. लगभग तीन महीने तक कोरोना के खिलाफ बहादुरी से लड़ने के बाद अभिषेक ने हार मान ली.

अब जब उनके पति आसपास नहीं थे, तो मौसमी ने इस सोच के साथ कि पैसे की अब और आवश्यकता नहीं है, इसे दान करने का फैसला किया, ताकि किसी भी परिवार को ऐसी ही विकट स्थिति का सामना न करना पड़े. मौसमी ने कहा कि मैं अपने परिवार के प्रति उदारता दिखाने के लिए लोगों का शुक्रगुजार हूं. खासकर मेरे पति की जान बचाने के लिए, लेकिन पैसा मेरे परिवार को नहीं बचा सका. आज भी कई परिवार ऐसे हैं, जो अपने सदस्यों को संक्रमण से ठीक करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. जिन संघर्षों से मैं गुज़रा, उनसे मुझे पता चलता है कि ज़रूरत के समय एक परिवार को पैसे जुटाने में कितना खर्च आता है. ऐसे परिवारों के लाभ के लिए मैंने समाज से प्राप्त धन को वापस कर दिया है.

भद्रक के जिलाधिकारी त्रिलोचन मांझी ने कहा कि मौसमी ने वास्तव में समाज को 40 लाख रुपये का दान दिया. मौसमी ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 30 लाख रुपये और जिला रेड क्रॉस कोष में 10 लाख रुपये का दान दिया है. उसके पास से हमें उक्त राशि के दो चेक मिले हैं. रोटरी क्लब, भद्रक ने उनकी मदद की. हम सीएमआरएफ में पैसा जमा करेंगे.

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