भुवनेश्वर. ओमिक्रॉन के बढ़ते संक्रमण के बीच इसके नये लक्षण भी देखने को मिले हैं. यह लक्षण दक्षिण अफ्रीका के ओमिक्रॉन पाजिटिव मरीजों में देखने को मिले हैं. इन मरीजों के अनुभवों के अनुसार पता चला है कि यदि किसी व्यक्ति के गले में खराश, कंजेशन और सूखी खांसी के साथ पीठ के निचले हिस्से में दर्द के लक्षण हैं, तो यह ओमिक्रॉन संक्रमण होने की बहुत संभावना है. साथ ही आंकड़ों के अध्ययन से पता चला है कि कई ओमिक्रॉन संक्रमित रोगियों को संक्रमण के 10 दिन बाद निमोनिया हो गया था. इसलिए जल्दी पता लगाने और त्वरित उपचार अस्पताल में भर्ती होने से रोकेगा. इसके अलावा अध्ययनों से पता चलता है कि अगर किसी को गले में खराश और सिरदर्द के साथ रात के पसीने के लक्षण दिखाई देते हैं, तो यह ओमिक्रॉन संक्रमण हो सकता है. इसके अलावा अध्ययन से पता चला है कि ओमिक्रॉन के संपर्क में आने के तीन बाद रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) में एक संक्रमित व्यक्ति के पाजिटिव होने का पता चलता है. इसके साथ ही यह पता चला है कि व्यक्ति के संक्रमित होने के चार से पांच दिनों के बाद उसमें वायरल अपनी चरम पर पहुंचता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस पृष्ठभूमि में ओमिक्रॉन के बारे में तत्काल पता लगाना मुश्किल हो सकता है. ऐसी स्थिति में लोगों को जागरुक होने के साथ-साथ सतर्क रहने की जरूरत हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर टेस्टिंग, ट्रैकिंग ही इसके विस्तार को रोकने में मददगार साबित हो सकता है. ओमिक्रॉन के नये लक्षण के परिप्रेक्ष में लोगों को जब पीठ के निचले हिस्से में दर्द के साथ-साथ गले में खराश और सिर्द महसूस हो तो उन्हें जांच कराने के साथ-साथ संगरोध में रहने की आवश्यकता है. इतना ही नहीं रात में यदि आपको पशीना आ रहा है, तो भी आपको सजग रहने की जरूरत है.
इधर, ओडिशा के राज्य जनस्वास्थ्य निदेशक निरंजन मिश्र ने कल कहा कि लोगों को भयभीत होने की जरूरत नहीं है. जनस्वास्थ्य निदेशक ने कहा था कि तीसरी लहर में बीते दिन तक 61 हजार संक्रमितों में से 1100 लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे. राज्य में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या अस्पताल की क्षमता 2 प्रतिशत से भी कम है. आईसीयू में 350 से 360 मरीज हैं. ऐसे में संक्रमित मरीज के संपर्क में आने के बाद भी लक्षण ना हो तो टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है. स्वास्थ्य निदेशक ने कहा कि वायरल फ्लू के लिए एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं है. जिन लोगों के पास लक्षण नहीं हैं, उन्हें कोई मेडिसीन नहीं दी जा रही है. लक्षण होने पर ही दवा दी जा रही है. आवश्यक तौर पर अपनी मर्जी से दवा का प्रयोग ना करने के लिए जनस्वास्थ्य निदेशक ने सलाह दिया है.
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