बिस्वाल प्रसिद्ध संबलपुरी नाटक ‘भुखा’ के लेखक थे, जिसे बाद में 1989 में प्रख्यात निर्देशक सब्यसाची महापात्र द्वारा एक फिल्म में बदल दिया गया था. यह ओडिशा की पहली फिल्म थी जिसे गिजोन अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय जूरी पुरस्कार मिला था. यह फिल्म ओडिशा के ‘बजनिया’ या ‘गंडा’ जनजाति की दुर्दशा को दर्शाती है, जो परंपरागत रूप से पेशे से ढोलकिया हैं और लोगों के प्रमुख वर्ग द्वारा सांस्कृतिक प्रभुत्व के नकारात्मक प्रभाव को दर्शाते हैं. बिस्वाल को मानद डी.लिट से सम्मानित किया गया था. साहित्य में उनके समृद्ध योगदान के लिए संबलपुर विश्वविद्यालय द्वारा यह डिग्री प्रदान की गयी थी. उन्हें भारतचंद्र नायक स्मृति साहित्य सम्मान और व्यासकाबी फकीर मोहन भाषा सम्मान भी मिला था. उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी है.
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