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लोगों के जायके के तड़के के लिए हो रहा बड़े पैमाने पर शिकार
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होटलों में छापा पड़ा तो खेत में फेंक दिए गए सैकड़ों मृत विदेशी पक्षी
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वन विभाग कर रहा है जांच
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पोस्टमार्टम के लिए भेजी गई मृत पक्षियां
भुवनेश्वर. लोगों की जीभ का बढ़ता स्वाद विदेशी पक्षियों के लिए काल साबित हो रहा है. इनका जबरदस्त शिकार किया जा रहा है. इस बात का खुलासा सड़क किनारे पाये विदेशी पक्षियों के शव से हुआ है. एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील चिलिका झील के समीप खुर्दा जिले के टांगी रेंज अन्तर्गत रतामाटी गांव के पास शनिवार सुबह को एक खेत में रहस्यमय तरीके से सौ से अधिक संख्या में प्रवसी विदेशी पक्षी मृत अवस्था में पाये गए हैं. स्थानीय लोगों से इसकी सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और मृतक पक्षियों को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथ ही खेत में गड्ढा खोदकर मृतक पक्षियों को दफना दिया है.
टांगी रेंजर चंद्रमणि मूर्मू से मिली सूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे मौजूद ढाबा में पक्षी मांस की रसोई कर बिक्री किए जाने की शिकायत मिली थी. ऐसे में एक दिन पहले ही राजमार्ग के किनारे मौजूद ढाबों में छापामारी की गई थी. हालांकि ढाबा से ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला था. ऐसे में संदेह है कि पकड़े जाने के डर से किसी ने इन मृतक पक्षियों को खेत में इस तरह से फेंक दिया है. टांगी रेंजर ने कहा है कि वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर पक्षियों को जब्त कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पक्षियों का पोस्टमार्टम होने के बाद इनकी मृत्यु का सही कारण पता चल पाएगा. वन विभाग की टीम पक्षियों की मृत्यु को लेकर जांच कर रही है. जांच के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर इतनी संख्या में पक्षियों का शिकार किसने किया था और इनकी मौत कैसे हुई है. खेत में जहर डालकर इनका शिकार किया गया है या फिर फंदा लगाकर पक्षियों का शिकार किया गया है, यह सब जांच के बाद ही स्पष्ट होगा. यह संदेह है कि शिकारियों ने क्रिसमस से पहले इन विदेशी पक्षियों का शिकार किया होगा और ढाबा एवं होटल में बेचकर मोटी रकम कमाने की फिराक में थे. फिलहाल मामले की विस्तृत जांच की जा रही है और जल्द ही सच्चाई सबके सामने होगी.
गौरतलब है कि चिलिका झील, एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है. यहां पर हर साल सात समंदर पार से हजारों की संख्या अनगिनत प्रकार के पक्षी आते हैं. चिलिका झील को पक्षियों का स्वर्ग स्थल कहा जाता है. यहां पर अमेरिका, आस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, फ्रांस, ईरान, इराक, साईबेरिया और अफगानिस्तान आदि स्थानों से पक्षी आते हैं. पक्षियों का आगमन अक्टूबर से आरंभ होता है और वे फरवरी महीने तक यहां रहते हैं. यहां अनगिनत प्रकार के पक्षियों के झुंडों को देखना अपने आप में काफी रोमांचक अनुभव होता है. चिलिका झील में सागर के खारे जल के अतिरिक्त महानदी, कुसुमी, कुशभद्रा और सालिया जैसी धाराओं के सम्मिलत होने के कारण इसमें मीठे जल का संगम भी होता है. सागर के खारे जल और नदियों के मीठे पानी का मिश्रण ही जलीय पौधों के लिए वरदान है.