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राज्य सरकार अलर्ट, मुख्य सचिव ने की उच्चस्तरीय बैठक
भुवनेश्वर. ओडिशा में ओमिक्रॉन के दो मामले पाये जाने के बाद राज्य सरकार अलर्ट हो गयी है तथा इससे निपटने के लिए रोडमैप तैयार किया गया है. संभव है कि राज्य के विशेष राहत आयुक्त कुछ निर्णय ले सकते हैं और आज मुख्य सचिव ने एक उच्चस्तरीय बैठक की.
ओमिक्रॉन के दो मामलों का पता लगने के बाद राज्य में चिंता व्याप्त है. दुनियाभर में प्रारंभिक अध्ययनों के दौरान पाया गया है कि संस्करण की दर काफी तेज है. ओडिशा सरकार भी नए कोविद संस्करण से उत्पन्न होने वाली घटनाओं से निपटने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
राज्य के मुख्य सचिव ने बुधवार को स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और नए कोविद संस्करण से उत्पन्न होने वाली किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए एक रोडमैप तैयार किया.
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि यदि एक सप्ताह में कुल परीक्षणों में से 10% से अधिक पाजिटिव पाये जाते हैं या यदि अस्पताल में बेड क्षमता के 40% से अधिक बेड भर जाते हैं तो सभी राज्य, केंद्रशासित प्रदेश कोविद-19 संक्रमण के रुझान को बढ़ने से रोकने के लिए बड़े समारोहों पर प्रतिबंध लगाने के लिए उचित उपाय कर सकते हैं. इसके एक दिन बाद आज यह महत्वपूर्ण बैठक हुई है.
आज महत्वपूर्ण उच्चस्तरीय बैठक के बाद ओडिशा के जनस्वास्थ्य निदेशक निरंजन मिश्र ने कहा कि ओमिक्रॉन के खतरे से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा सभी संभव कदम उठाए जा रहे हैं.
मिश्र ने कहा कि राज्य सरकार ने पांच गुना रणनीति पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है जिसमें निगरानी, जीनोम अनुक्रमण, टीकाकरण, परीक्षण और ट्रैकिंग को तेज करना शामिल है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) आने वाले दिनों में नए दिशानिर्देश ला सकते हैं.
मिश्र ने कहा कि विदेशी यात्रियों के अलावा, आने वाले दिनों में जिलास्तर से नमूनों का जीनोम अनुक्रमण भी तेज किया जाएगा. इसी तरह परीक्षण के उपायों को भी तेज किया जाएगा. एसआरसी भी नए दिशा-निर्देशों जारी कर सकते हैं. मिश्र ने कहा कि आगामी क्रिसमस और नए साल के उत्सव के मद्देनजर राज्य सरकार ने पहले ही जिला कलेक्टरों और नगर आयुक्तों को सभाओं या बड़े समारोहों पर अंकुश लगाने के लिए कहा है. प्रशासनिक अधिकारियों को उभरती स्थिति से निपटने के लिए उचित स्थानीय उपाय करने को कहा गया है.
जनस्वास्थ्य निदेशक ने आगे कहा कि शिक्षण संस्थानों पर भी कड़ी निगरानी रखी जाती है. लक्षण दिखने वाले छात्रों और स्टाफ को तुरंत आइसोलेट करने के स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं, ताकि जरूरी जांच और इलाज की व्यवस्था की जा सके.