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120 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर लाया गया
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30 गर्भवती महिलाओं को स्थानीय अस्पतालों में पहुंचाया गया
कमजोर होते चक्रवात जवाद से संकट टलने के बीच धान के फसल को नुकसान पहुंचना तय है. मौसम विभाग और राज्य के विशेष राहत आयुक्त (एसआरसी) की चेतावनी के हिसाब से अगर बारिश हुई तो जिले में धान की फसल को व्यापक नुकसान पहुंचना तय है. मौसम विभाग ने एक बयान में कहा कि इन क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ बारिश होने की संभावना है. एसआरसी ने हवा और बारिश के कारण बाहार नहीं निकलने की चेतावनी दी है. एसआरसी ने यह भी कहा कि हवा और बारिश से धान और दूसरी फसल को नुकसान पहुंच सकता है. बारिश के कारण बालेश्वर में शुक्रवार रात से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. शुक्रवार तक 120 ग्रामीणों को सुरक्षित इलाकों में लाया जा चुका था. 30 गर्भवती महिलाओं को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया था. हालांकि, प्रशासन ने कहा कि तूफान के कमजोर होने के बाद शनिवार को किसी और को नहीं निकाला गया. जिलाधिकारी के. सुदर्शन चक्रवर्ती ने कहा कि हवा और बारिश पर नजर रखी जा रही है. बालेश्वर जिले में मूसलाधार बारिश से धान और गैर धान की फसल प्रभावित होने की संभावना है. खासतौर पर पके धान का खराब होना तय है. जिले के लगभग 70 प्रतिशत पके धान की कटाई की जा चुकी है. इस बीच तूफान ने दस्तक दे दिया. फिर भी किसान जल्दबाजी में पिछले 3-4 दिनों से पके धान की कटाई कर रहे हैं. सुरक्षित जगह के अभाव में काटे गए पके धान खेत में ही है. बारिश के कारण खेतों में पानी भर रहा है. फलस्वरूप पका धान भीग रहा है. धान रखने के लिए पर्याप्त जगह ना होने के कारण कोई अपने घर के बरामदे में, तो कोई पॉलीथिन के नीचे इन धानों को रख रहे हैं. धान बारिश में भीगे हुए हैं. यदि 2-3 दिनों के भीतर धूप नहीं निकलेगी, तो गीला धान खराब होने लगेगा.
प्रशासन ने किसानों को संभावित तूफान की स्थिति में फसल को सुरक्षित रखने और खेत में पके धान की तुंरत कटाई करने की सलाह दी थी. हालांकि, बहानगा क्षेत्र के एक किसान मकरध्वज मलिक ने कहा कि स्थिति अभूतपूर्व थी. इस साल उन्होंने 4 एकड़ जमीन पर धान की खेती की है. उन्होंने 2 एकड़ जमीन से धान की कटाई की है. देर से खेती होने के कारण शेष 2 एकड़ में कटाई नहीं हो सकी. मशीन की मदद से जल्दबाजी में धान की कटाई कि गई, लेकिन जब खेत में धान काट लिया गया तो ट्रैक्टर नहीं मिलने के कारण उठाया नहीं जा सका. उन्होंने कहा कि लगातार बारिश के कारण खेत में पानी जमा हो गया एवं धान भीग गए हैं. इसी तरह बस्ता क्षेत्र के किसान तपन देहुरी व मनोज राउत ने बताया कि 2-3 दिन में जितने धान की फसल कटी थी, वह सारे खेत में भीग गई.
किसानों का कहना है कि अगर प्रशासन ने तुरंत कटे हुए धान को संग्रह करना शुरू किया होता, तो यह समस्या नहीं होती. प्रशासन ने इस महीने की 15 या 22 तारीख से धान खरीदने का फैसला किया है. बहानगा, सिमुलिया, बस्ता, औपदा, खैईरा, बलियापाल और सदर प्रखंड के ज्यादातर हिस्सों में पके धान के बारिश में भीगने की खबर है. बारिश से गैर-कृषि फसलों पर भी असर पड़ने की संभावना है. वर्तमान में, गोभी, फूलगोभी, टमाटर और बैंगन विभिन्न ब्लॉकों में उगाए जाते हैं. किसानों ने बिक्री शुरू कर दी है. बारिश से फसल बर्बाद होने से किसान परेशान हैं. खरीफ के दौरान जिले में 1 लाख 98 हजार 531 हेक्टेयर जमीन पर धान और 21 हजार 207 हेक्टेयर जमीन पर दूसरी खेती की गई थी. कम बारिश के कारण खेती में देरी हुई. इस साल तूफान, बाढ़ के बाद एक और तूफान के आने से बालेश्वर जिले में किसानों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है.