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आदिवासी आर्ट, क्राफ्ट तथा संस्कृति आदि को मिलेगा संरक्षण और प्रोत्साहन
भुवनेश्वर. नई दिल्ली में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन कार्यरत नेशनल गैलरी आफ मोडर्न आर्ट (एनजीएमए) तथा भुवनेश्वर स्थित कीस-कीट के मध्य आदिवासी आर्ट, क्राफ्ट तथा संस्कृति आदि के संरक्षण और प्रोत्साहन हेतु एक करार हुआ. कीट-कीस की ओर से संस्थापक तथा कंधमाल लोकसभा सांसद प्रोफेसर अच्य़ुत सामंत तथा एनजीएमए की ओर से अद्वेयत गणनायक, महानिदेशक ने करारनामे पर हस्ताक्षर किये. इस अवसर पर एनजीएमए की ओर से डा विनय सहस्रबुद्धे, सांसद राज्यसभा तथा चेयरमैन शिक्षा एवं महिला संसदीय स्थायी समिति, भारतीय संस्कृति संबंध परिषद के महानिदेशक आईएफएस दिनेश पटनायक तथा कीस के परामर्शदाता डा सुरज कुमार आदि उपस्थित थे. करारनामे को ऐतिहासिक बताते हुए प्रोफेसर अच्युत सामंत ने कहा कि आज उनका सपना साकार हुआ है. कीस डीम्ड विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर दुनिया का सबसे बड़ा आदिवासी आवासीय डीम्ड विश्वविद्यालय है, जहां औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ पेशेवर शिक्षा आदिवासी संस्कार, संस्कृति, कला, लोककला, विरासत तथा परम्परा आदि सुरक्षित रखकर प्रदान की जाती है. यहीं नहीं, कीस के लगभग बीस हजार अल्युमिनी छात्र हैं, जो स्वावलंबी बनकर आत्मनिर्भरता का संदेश दे रहे हैं. कीस के कुल लगभग 60 हजार आदिवासी बच्चे एक ही छत के नीचे रहकर, एक साथ समस्त आवासीय सुविधाओं को उपभोगकर और आपसी सद्भाव को विकसित करते हुए कीस का मान पूरे विश्व में बढा रहे हैं. कीस माडेल दुनिया में अपने आपमें आदर्श व अनुकरणीय माडेल है. कीस आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को वर्षों से साकार कर रहा है. करारनामे के अनुसार एनजीएमए कीस-कीट को इस क्षेत्र में हरप्रकार का तकनीकी समर्थन देगा साथ ही साथ 1954 से स्थापित नेशनल गैलरी आफ मोडर्न आर्ट के माध्यम से कीस-कीट को आदिवासी आर्ट, क्राफ्ट तथा संस्कृति आदि के संरक्षण, प्रोत्साहन तथा विकास में सहयोग देगा.