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क्रांतिकारी कवि रवि सिंह नहीं रहे

  •  मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने किया शोक व्यक्त, राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

    भुवनेश्वर. ओड़िया साहित्य में क्रांतिकारी कवि के रुप में जाने जाने वाले रवि सिंह नहीं रहे. कटक जिले के खपुरिया में उनके आवास पर रविवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. वे 89 वर्ष के थे. उनके परिवार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वह कुछ दिनों से बीमार थे. वह आयु अधिक होने के कारण होने वाले बीमारिय़ों से पीड़ित थे. सोमवार की सुबह उनका निधन हो गया. ओड़िया साहित्य में उन्होंने अपनी लेखनी में विशेष पहचान स्थापित की थी. उनकी कविता संकलनों में पथ प्रांतर कविता, चरमपत्र, लाल पागोडार प्रेत व अन्य कविता, भृकुटी, विदिर्ण, पदातिक, अप्रितिकर कविता, झड, सर्वहरा आदि संकलन शामिल है. केवल इतना ही नहीं, उन्होंने अनेक भाषाओं से ओड़िया भाषा में अनुवाद भी किया है. उन्हें 1961 में ओडिशा साहित्य अकादमी सम्मान से सम्मानित किया गया था. इसी तरह 2017 में उन्हें अतिबड़ी जगन्नाथ दास सम्मान से सम्मानित किया गया था. मुख्यमंत्री नवीन पटनाय़क ने ओडिशा के विशिष्ट कवि रवि सिंह के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. साथ ही उनकी अंतिम संस्कार राष्ट्रीय मर्यादा के साथ किये जाने की घोषणा की है. पटनायक ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए सिंह को एक प्रतिभावान कवि, लेखक व सही मायनों में देशभक्त बताया. उनके निधन से आधुनिक ओडिया साहित्य में खाली स्थान उत्पन्न हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा है उनकी कविताएं उन्हें मानवाधिकार व समाजवाद के मूल्यों के वाहक बनाती रहेंगी. मुख्यमंत्री ने उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त किया है तथा उनके अमर आत्मा की सदगति की कामना की. मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम व ओड़िया साहित्य के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उनका अंतिम संस्कार राष्ट्रीय मर्यादा के साथ किये जाने की घोषणा की है.

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