भुवनेश्वर. ओडिशा हाईकोर्ट के फैसले के कारण अब ओडिशा में लोगों को राजनैतिक बंदी से मुक्ति मिलेगी. कल ओडिशा हाईकोर्ट ने कांग्रेस द्वारा आहूत बंद के खिलाफ जो फैसला दिया, वह सभी पार्टियों पर लागू होगा. इससे राज्य में कोई अब बंद का आह्वान नहीं कर सकता है. बंद के दौरान लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. वाहनों में तोड़फोड़ होती थी. आर्थिक और शारीरिक परेशानियों के दौर से लोगों को गुजरना पड़ता था. हालांकि राजनैकित पार्टियों को विरोध जताने के लिए हड़ताल की छूट दी गयी है.
कांग्रेस द्वारा शुक्रवार को बुलाए गए ओडिशा बंद के मद्देनजर उच्च न्यायालय ने कल आदेश दिया था कि यह अवैध है और राजनीतिक दलों को बंद रखने से प्रतिबंधित किया गया है. अदालत ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार बंद को अवैध करार दिया. शिक्षिका ममिता मेहेर की हत्या को लेकर कांग्रेस द्वारा बुलाए गए बंद के खिलाफ दुकानदारों के एक मंच ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि सार्वजनिक जीवन को बाधित नहीं किया जा सकता है और परिवहन का कोई भी रूप प्रभावित नहीं होना चाहिए.
हड़ताल किसे कहते हैं?
हड़ताल विरोध जताने की वह प्रक्रिया है, जिसमें शामिल होने वाला व्यक्ति सामूहिक रूप से कार्य करने से मना कर देते हैं. सामूहिक रूप से कार्य करने से इनकार करने की कार्यवाही को हड़ताल कहा जाता है. आम तौर पर भारत में हड़ताल मजदूरी, बोनस, मुअत्तली, निष्कासन आदेश, छुट्टी, कार्यावधि और ट्रेड यूनियन संगठनों की मजदूरों की हितों की मांगों को लेकर की जाती रही है.