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शंकराचार्य ने पुरी के नाम परिवर्तन के प्रस्ताव पर जतायी नाराजगी

  • कहा- जगन्नाथ धाम को पूरी दुनिया जानती है

पुरी. पुरी गोवर्धन मठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने ओडिशा के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल पुरी का नाम बदलकर श्री जगन्नाथ पुरी या श्री जगन्नाथ धाम पुरी करने के प्रस्ताव पर नाराजगी व्यक्त की है.

मंगलवार को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) की बैठक के दौरान इस महत्वपूर्ण निर्णय के प्रस्ताव को चर्चा के लिए रखा गया था. इस महीने की शुरुआत में जगन्नाथ सेना ने पुरी रेलवे स्टेशन के पास विरोध प्रदर्शन किया था और रेलवे अधिकारियों के समक्ष तीर्थ शहर का नाम बदलने के लिए एक मांग पत्र प्रस्तुत किया था.

शंकराचार्य ने कहा कि हम अयोध्या, मथुरा, उज्जैन, हरिद्वार, काशी, कांची और द्वारका के बाद पुरी शब्द का प्रयोग नहीं करते हैं. हालांकि ये सात भी पुरियां हैं. जगन्नाथ पुरी आठवीं पुरी है. इसके अलावा पुरी ही केवल जगन्नाथ पुरी का प्रतीक है.

उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया पुरी को जगन्नाथ धाम के नाम से जानती है. इसलिए नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है.

उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में पुरी के जिला कलेक्टर समर्थ वर्मा ने आश्वासन दिया था कि उचित निर्णय लेने से पहले नामकरण में बदलाव के मुद्दे को उच्च स्तर पर पूरी तरह से चर्चा के लिए उठाया जाएगा. उन्होंने कहा कि हर सदस्य ने सुझाव दिए हैं और जल्द ही फैसला लिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि यह शहर प्राचीन काल से कई नामों से दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यह श्रीक्षेत्र, नीलाचल क्षेत्र, नीलादेई विहार क्षेत्र और पुरुषोत्तम क्षेत्र आदि कुछ नामों से भी जाना जाता है.

इस बीच भारतीय जनता पार्टी के राज्य के शीर्ष नेताओं ने ‘महोदधि आरती’ की और नगर कीर्तन के साथ-साथ पुरी में शुक्रवार सुबह पार्टी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत विभिन्न जुलूसों में भाग लिया. आज उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मंदिर परिसर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आदि गुरु शंकराचार्य की 12 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया.

इस मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, पुरी विधायक जयंत षाड़ंगी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पंडा, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्र व राज्य के शीर्ष नेता भी उपस्थित थे.

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