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कहा – श्रीराम के साथ-साथ मां सीता को भी राम जैसा ही दें सम्मान
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जगत को राममय बनाने के लिए राम को अर्द्धनारीश्वर रुप में अपनायें की दी सलाह
भुवनेश्वर. राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल ने आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की महिला का बखान करते हुए कहा कि अगर माता सीता न होती तो राम भी श्री राम नहीं होते. प्रभु श्रीराम की कृति में माता सीता का भी बड़ा योगदान हैं. राजभवन में अखिल भारतीय राष्ट्रीय कवि संगम के तत्वाधान में आयोजित श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार राधा के बिना कृष्ण और माता पार्वती के बिना भगवान शंकर की कल्पना नहीं की जा सकती है, ठीक उसी प्रकार माता सीता के योगदान भी श्रीराम की भूमिका पूरी नहीं होती है. राजभवन, भुवनेश्वर में आयोजित श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में युवा विजेताओं को पुरस्कृत कर उन्हें संबोधित करते हुए ओडिशा के राज्यपाल प्रोफेसर गणेशीलाल ने बताया कि रामकथा के मर्मज्ञ विश्वविख्यात रामायणी परमसंत मोरारी बापू ने यूएन में पूरे विश्व के देशों के लिए प्रेम की भाषा को अपनाने की बात कही है, ठीक उसी प्रकार आज की आयोजित श्रीराम काव्यपाठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता के विजेताओं को सुनने से उनको ऐसा लगा कि भारतीय पुरुष प्रधान समाज में नारी का भी पुरुष के समकक्ष स्थान देने की जरुरत है, क्योंकि श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम बनाने में माता सीता का भी उतना ही योगदान रहा है. गोस्वामी तुलसीदास का रामचरितमानस पारिवारिक, सामाजिक और राष्ट्रीय समन्वय की एक विराट चेष्टा है, जिसमें नारी के महत्त्व को निःसंदेह रुप से स्वीकारा गया है. भारतीय समाज और राष्ट्र के उत्तरोतर विकास के लिए राम की भूमिका को अर्द्धनारीश्वर रुप में अपनाने की आज आवश्यकता है, जिसमें राम और सीता दोनों की भूमिका समान होनी चाहिए.