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कहा- देश में पाए गए संस्करण का प्रतिशत बहुत नगण्य
भुवनेश्वर. यूके में तेजी से फैल रहे तथा इंदौर व महाराष्ट्र में दस्तक दे चुके कोरोना के नये संस्करण को लेकर ओडिशा में कोई चिंता की बात नहीं है. ओडिशा में नये संस्करण को लेकर लोगों की चितांओं को दूर करते हुए चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण निदेशक (डीएमईटी), सीबीके मोहंती ने यह बातें कहीं. देश के कुछ राज्यों में फैल रहे सार्स कोव- 2 एवाई.4.2 के प्रकोप की आशंकाओं को दूर करते हुए मोहंती ने कहा कि देश में पाए गए प्रकार का प्रतिशत बहुत नगण्य है और लोग इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है. मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मोहंती ने कहा कि 4.2 डेल्टा प्लस संस्करण की एक उप-श्रेणी है और इस नए संस्करण के सात मामले इंदौर में पाए गए, जबकि महाराष्ट्र में केवल 1 प्रतिशत नमूनों में नए संस्करण का पता चला है.
मोहंती ने विस्तार से बताया कि नए म्यूटेंट को यूके में वैरिएंट अंडर इन्वेस्टिगेशन (वीओसी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, क्योंकि 6 प्रतिशत मामले इस प्रकार के थे. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक म्यूटेंट को वीओसी (चिंता का प्रकार) के तहत वर्गीकृत नहीं किया है. हाल ही में भारत में इस प्रकार के संस्करण का पता चला है. देश में इन मामलों का प्रतिशत नगण्य है. इस बीच, वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है कि नया संस्करण मूल डेल्टा की तुलना में अधिक संक्रामक और अत्यधिक संक्रामक हो सकता है. डॉ सीबीके मोहंती ने कहा कि यूके में 10% मामलों में डेल्टा एवाई 4.2 का पता चला है, लेकिन भारत में यह नगण्य है. इसलिए अभी तक हमारे लिए चिंता करने का समय नहीं आया है. ब्रिटेन की एजेंसियों ने पाया है कि यह मामूली रूप से अधिक संक्रामक है, लेकिन अभी यह निर्धारित नहीं किया गया है कि यह अधिक संक्रामक है या नहीं. इसकी रोग पैदा करने की क्षमता और इसके प्रतिरक्षा से बचने की संभावना भी जांच के दायरे में है. डीएमईटी ने समझाया कि अब तक डेल्टा संस्करण के 45-55 उप-वंशों का पता लगाया गया है. उन्होंने कहा कि यह समय बताएगा कि यह कैसे प्रभाव डालने वाला है. डॉ मोहंती ने कहा कि इस पर अधिक ध्यान दिया जाएगा और जीनोमिक अध्ययन चल रहा है.