भुवनेश्वर. भारत की सांस्कृतिक धरोहर के अनुसंधानकर्ता अनिल धीर ने आजाद भारत के प्रथम ध्वज को नेताजी संग्रहालय में रखने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आजाद भारत के प्रथम ध्वज को, जिसे 14 अप्रैल, 1944 को इण्डियन नेशनल आर्मी के कर्नल शौकत मलिक ने इम्फाल के नजदीक मोइरंग में पहली बार फहराया था, को दिल्ली के आईएनए संग्रहालय सीलमगढ़ किले में नहीं, तो नेताजी संग्रहालय, कटक में रखे जाने की तत्काल आवश्यकता है. धीर के अनुसार, आजाद भारत का वह प्रथम ध्वज उखरुल, मणिपुर के वाईए सिशक नामक देशभक्त के स्टील ट्रंक में पूरी तरह से असुरक्षित है. उसे केवल इण्डियन नेशनल आर्मी के स्मारक दिवस पर प्रतिवर्ष फहराया जाता है.
उल्लेखनीय है कि अनिल धीर दो बार उखरुल, मणिपुर जाकर वाईए सिशक से मिल चुके हैं. उनका भी यही कहना है कि आजाद भारत का वह प्रथम ध्वज उनके पास असुरक्षित है. धीर इस संबंध में भारत सरकार और ओडिशा सरकार को तत्काल पहल करने का निवेदन पहले भी कर चुके हैं. आज भी उन्होंने ओडिशा सरकार से उस ध्वज को नेताजी संग्रहालय, कटक में सुरक्षित रखने के लिए तत्काल पहल करने की मांग की है.
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