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हवाई अड्डा का किया घोर विरोध, तीर्थस्थल के खिलाफ साजिश बताया
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कहा – पुरी को तीर्थस्थल ही रहने दिया जाये, नहीं बनाया जाये पर्यटन केंद्र
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हवाई अड्डा का निर्णय वापस नहीं लेने पर जनजागरण अभियान चलाने की चेतावनी दी
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बोले- पुरी के संदर्भ में कोई भी निर्णय लेने से पहले की जाये मुझसे बातचीत
पुरी. पवित्र महाधाम तथा महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की नगरी पुरी में हवाई अड्डा बनाने के निर्णय का घोर विरोध करते हुए जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती ने राज्य और केंद्र सरकार को कड़े लहजे में चेताया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय तीर्थस्थलों के खिलाफ साजिश है. साथ ही उन्होंने सुझाव दिया है कि पुरी के मामले में कोई निर्णय लेने से पहले उनसे बातचीत की जाये.
आज यहां जारी एक संदेश में शंकराचार्य ने कहा है कि जैसा कि चर्चा है कि पुरी में हवाई अड्डा बनने वाला है. मैं संकेत करना चाहता हूं कि मैं विकास का पक्षधर हूं, परंतु विकास के स्वरूप को ठीक से समझने की आवश्यकता है. ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में हवाई अड्डा है. यहां से सिर्फ 50-55 किलोमीटर की दूरी पर पुरी स्थिति है. उन्होंने कहा कि यहां हवाई अड्डा बन जाने पर गोवंश के संरक्षण के लिए जिस गोचर जमीन की आवश्यकता होगी, उस भूमि का विलोप होगा. पुरी तीर्थस्थल नहीं पर्यटन का एक केंद्र बन जायेगा.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार से धर्म और आध्यात्म से संबंधित जो स्थल हैं, उनको दिशाहीन करने का अभियान अनुचित है. शासन तंत्र को चाहिए कि पुरी को लेकर कोई अभियान हो, हमसे बातचीत करे और उसकी उपयोगिता पहले सिद्ध करे, फिर योजना को क्रियान्यवित करे. उन्होंने कहा कि मैं हवाई अड्डा बनने का समर्थन नहीं करता. इसमें चाहे केंद्र शासन तंत्र की सहभागिता हो या प्रांतीय शासन तंत्र का प्रयास हो. यह सर्वथा अमंगल सूचक है. तीर्थ स्थलों के तीर्थक को लुप्त करने का प्रयास है और मैं अपने अधिकार की सीमा में बोल रहा हूं कि अगर पुरी के क्षेत्र में हवाई अड्डा बनाने की योजना क्रियान्वित की गयी तो मैं जनजागरण का अभियान शुरू करूंगा और सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी.
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