अशोक पाण्डेय, भुवनेश्वर
ओडिशा में पिपिलि के समीप लगभग 1400 साल पुराने शिवमंदिर का पता इण्डियन ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हेरीटेज (इनटैक) ने लगाया है. यह जानकारी एक प्रेसवार्ता के माध्यम से इनटैक टीम ने दी है. इनटैक टीम के चार सदस्यः प्रोजेक्ट संयोजक अनिल धीर, अनुसंधान सहायक दीपक कुमार नायक, शुभाशीष दाश और सुमन स्वाईं ने उस शिव मंदिर की खोज की. उसका ड्क्यूमेंटेशन किया. पुरी जाने के रास्ते में पिपिलि के समीप छठी-सातवीं सदी का यह सबसे पुराना शिव मंदिर है, जो गुप्त काल के बाद का सबसे पुराना मंदिर बताया जाता है, जो करीब-करीब विलुप्त हो चुकी रत्नचिरा नदी तट पर निर्मित शिव मंदिर है. झाड़ियों में छिपे होने के कारण इसकी जानकारी लोगों को नहीं थी.
यह शिवमंदिर पिपिलि तहसील के वीरापुरुषोत्तम में स्थापित है. इनटैक टीम के श्री दीपक नायक के अनुसार मंदिर पुराने चौकोर पत्थरों से निर्मित मंदिर है. वहीं प्राची घाटी तथा जगन्नाथ सड़क पर शोध करनेवाले श्री अनिल धीर ने बताया कि जिस प्रकार से इस मंदिर का सुंदर निर्माण हुआ है, उससे यह पता चलता है कि यह मंदिर महेन्द्र घाटी के मंदिरों की तरह ही निर्मित है. सच कहा जाय तो आज यह शिव मंदिर करीब-करीब ध्वस्त हो चुका है. मंदिर के गर्भगृह के भगवान शिव से लेकर सभी पार्श्व देवी-देवता प्रायः विलुप्त हो चुके हैं. ओडिशा राज्य पुरातत्व विभाग तथा भारतीय पुरातत्व विभाग को इस शिव मंदिर को अस्तित्व में तत्काल लाने के लिए विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है, नहीं तो ओडिशा के लगभग 1400 साल पुराने इस शिव मंदिर का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा.