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कोरोना नियमों की अनदेखी तीसरी लहर को निमंत्रण
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नवंबर के अंत तक कम से कम मोटे तौर पर नियमों का पालन करने की अपील
भुवनेश्वर. ओडिशा में कोरोना की तीसरी लहर अक्टूबर के अंत में आने में सबसे अधिक संभावना है, क्योंकि दूसरी लहर की शुरुआत देश के अन्य राज्यों की तुलना में दो-तीन सप्ताह की देरी से हुई थी. इसलिए इस दौरान कोरोना नियमों की अनदेखी काफी महंगी पड़ सकती है. यह अनदेखी कोरोना की संभावित तीसरी लहर को निमंत्रण होगी.
यह बातें शहर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा निरोज मिश्र ने देते हुए कहा कि नवंबर के अंत तक कम से कम मोटे तौर पर कोविद के उचित व्यवहार का पालन करना होगा.
उन्होंने कहा कि वास्तव में हमें यह ध्यान में रखना होगा कि हमें इस साल के अंत तक कोविद के उचित व्यवहार को बनाए रखना है. यदि हम उचित व्यवहार का पालन नहीं करते हैं, तो तीसरी लहर की संभावना वास्तविकता में परिवर्तित हो जायेगी.
उन्होंने कहा कि तीसरी लहर पहले ही विभिन्न देशों में आ चुकी है और यहां तक कि स्पेन और नीदरलैंड जैसे विकसित यूरोपीय देशों में भी मामले नाटकीय रूप से बढ़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि फ्रांस में फिर से प्रतिबंध वापस आ गए हैं. डा मिश्र ने चेताया कि यदि पर्याप्त संख्या में लोगों का टीकाकरण नहीं किया गया और हम अपने व्यवहार में लापरवाह रहे, तो तीसरी लहर हम पर भारी पड़ेगी. यह हमारे लिए चिंता का विषय है, क्योंकि हमारा राज्य देश के उन छह राज्यों में शामिल है, जहां संक्रमण कम नहीं हो रहा है. एक स्थान पर जितने अधिक मामले होंगे, नए उत्परिवर्ती उपभेदों के विकसित होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी.
उन्होंने कहा कि इसलिए मामलों को कम करने की जरूरत है. सरकार द्वारा किए जा रहे सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों के अलावा हमें कोविद के उचित व्यवहार का सख्ती से पालन करना होगा और सभी प्रकार की सभाओं से बचना चाहिए.
स्वास्थ्य पर नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल की शुक्रवार को चेतावनी का हवाला देते हुए कि कोविद-19 के खिलाफ लड़ाई में अगले 100-125 दिन महत्वपूर्ण हैं, डॉ मिश्र ने कहा कि जब से वैक्सीन की सफलता देखी गई है, लेकिन टीका लगाने वाले व्यक्ति संक्रमित हो रहे हैं. उन्हें या तो हल्का कोविद है या स्पर्शोन्मुख संक्रमण, जिसमें वे दूसरों को संक्रमण फैलाने की क्षमता रखते हैं.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ की राय है कि हमारे राज्य में अधिक मामलों की जीनोमिक अनुक्रमण के लिए निगरानी बढ़ानी होगी, जैसा कि महाराष्ट्र में किया जा रहा है, ताकि नए उपभेदों का पता लगाया जा सके. उनकी जल्द निगरानी की जा सके और संभावित तीसरी लहर को रोकने में मदद मिल सके और नए उत्परिवर्ती उपभेदों का पता चल सके.
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