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15 साहित्य साधकों को सारस्वत साधक-साधिका सम्मान
भुवनेश्वर. ओडिशा साहित्य एकेडमी की तरफ से 2020 के लिए मर्यादित सर्वोच्च सारस्वत सम्मान अतिबड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार के लिए नामों की घोषणा कर दी गई है। सर्वोच्च सारस्वत सम्मान अतिबड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार प्रख्यात कथाकार रामचन्द्र बेहरा को प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा वर्ष 2020 में कुल 15 लोगों को सारस्वत साधक-साधिका सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। एकेडमी की तरफ से आयोजित एक विशेष उत्सव में यह पुरस्कार सम्मान दिया जाएगा। ओडिशा साहित्य एकेडमी के अध्यक्ष हरिहर मिश्र की अध्यक्षता में अनुष्ठित कार्यकारी परिषद बैठक में इस संदर्भ में निर्णय लिया गया है।
उसी तरह से 2020 वर्ष के लिए जिन 15 वरिष्ठ सारस्वत साधक-साधिका को सम्मानित किया जाएगा, उसमें देवेन्द्र कुमार दास, गिरिजा शंकर शर्मा, अशोक कुमार पटनायक, बाबाजी चरण पटनायक, बाइधर साहू, जीवनकृष्ण महापात्र, दिगराज ब्रह्मा, रूद्र नारायण पृष्टि, सौभागिनी मिश्र, स्वराज्यलक्ष्मी मिश्र, कृपासिंधु नायक, निर्मलप्रभा नायक, रासेश्वरी मिश्र, राधा विनोद नायक, महेश्वर मूलिया का नाम शामिल है।
गौरतलब है कि ओडिशा साहित्य एकेडमी के सर्वोच्च सारस्वत सम्मान अतिबड़ी जगन्नाथ दास पुरस्कार के लिए प्रख्यात साहित्यिक तथा कथाकार रामचन्द्र बेहरा के नाम की घोषणा होने के बाद साहित्य जगत से उन्हें बधाई एवं शुभाकामना देने वालों का तांता लग गया है. बेहरा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि साहित्य एकेडमी के सर्वोच्च पुरस्कार मिलना मेरे लिए खुशी की बात है। हर समय में अपने लेखनी में सर्वोच्च देने का प्रयास करता हूं।
जानकारी के मुताबिक 2 नवम्बर 1945 को केन्दुझर जिले के घटगां के पास बराटीपुरा गांव में पैदा हुए श्री बेहरा ने आज तक 35 से अधिक पुस्तकों की रचना की है। उनकी सारस्वत जीवन यात्रा केन्द्रापड़ा कालेज से ही शुरू हो गई थी। 1969 में अध्यापक के तौर पर कालेज में योगदान देने के एक साल बाद से ही अपनी लेखनी शुरू की तो फिर पीछे नहीं हटे। 2005 में कालेज अध्यक्ष पद से रिटायर होने के बाद वह पूरी तरह से खुद को सारस्वत साधना में नियोजित कर दिया। केवल गल्प, नाटक, उपन्यास आदि ओड़िआ साहित्य के विभिन्न क्षेत्र में ही उनकी लेखनी प्रसिद्ध है, ऐसा नहीं है, श्री बेहरा एक सफल साहित्यिक एवं कथाकार के तौर पर उन्हें पूरे प्रदेश में जाना जाता है। चर्चित गल्प पुस्तक गोपपुर के लिए 2005 में उन्हें केन्द्र साहित्य एकेडमी पुरस्कार मिला था। 1991 में ओंकार ध्वनि गल्प के लिए सारला पुरस्कार एवं 1993 में अभिनय परिधि उपन्यास के लिए ओड़िशा साहित्य एकेडमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। केवल इतना ही नहीं 2010 से 2013 तक वह ओडिशा साहित्य एकेडमी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।