काठमांडू। सहकारी घोटाले में गृहमंत्री की संलग्नता की जांच को लेकर संयुक्त संसदीय जांच समिति के गठन पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है। गुरुवार को भी बैठक में कोई सहमति न बन पाने के बावजूद सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी बात से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। विपक्षी दल गृहमंत्री के खिलाफ सड़क पर आन्दोलन करने के अपने फैसले पर अड़े हैं।
कानून मंत्री पदम गिरी ने बताया कि सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच समिति गठन को लेकर सहमति बनने के बावजूद उसके कार्यादेश को लेकर आज भी सहमति नहीं बन पाई है। पिछले चार दिनों से लगातार हो रही बैठक में कोई सहमति न पाने पर विपक्षी दलों की तरफ से मांग अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि कार्यादेश में गृहमंत्री का नाम उल्लेख करते हुए उनकी संलग्नता में जितनी भी सहकारी संस्थाओं में अनियमितता हुई है, उस बात का स्पष्ट उल्लेख करने के लिए विपक्ष अपनी बार पर कायम है।
इस मामले को लेकर सभी प्रमुख दलों की तरफ से कानून मंत्री के संयोजकत्व में एक पांच सदस्यीय कार्यदल का गठन किया है, जिसे कार्यादेश बनाने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन लगातार की बैठक के बावजूद सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने बताया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष कोई भी अपनी बात से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।
समिति की बैठक में शामिल एमाले के प्रमुख सचेतक महेश बर्तौला ने कहा कि गृहमंत्री के नाम का उल्लेख करने की मांग पर विपक्षी दल अड़े हैं, जिसे सरकार गिराने के षडयंत्र के रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री की तरफ से यह स्पष्ट कहा जा चुका है कि यदि उनका नाम उल्लेख किया गया और जांच का दायरा सिर्फ उन पर ही केन्द्रित किया गया तो तत्काल वो ना सिर्फ सरकार से अलग हो जाएंगे, बल्कि सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया जाएगा। बर्तौला का कहना है कि इसी को आधार बनाकर नेपाली कांग्रेस गृहमंत्री का नाम उल्लेख कराने पर तुली है, ताकि सरकार अल्पमत में आकर बहुमत के अभाव में गिर जाए। उनका कहना है कि सरकार को गिराने का षडयंत्र किसी भी हालत में पूरा नहीं करने दिया जाएगा।
इस समिति की बैठक में शामिल रहे नेपाली कांग्रेस के नेता जीवन परियार और ज्ञानेन्द्र कार्की ने कहा कि गृहमंत्री के नाम का उल्लेख किये बिना समिति का गठन पूरा हो ही नहीं सकता है। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री की भूमिका की जांच के बिना समिति का क्या काम? गृहमंत्री रहते उनके खिलाफ जांच होना असंभव है। कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि उनके पद पर रहते जांच को ना सिर्फ प्रभावित किया जा सकता है, बल्कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी की जा सकती है।
साभार – हिस