काठमांडू, माओवादियों के सशस्त्र विद्रोह के दिन 14 फरवरी को सरकारी अवकाश घोषित करने के निर्णय पर सत्तापक्ष और विपक्ष की कम्युनिस्ट पार्टियों के बीच मतभेद पैदा हो गया है। जनयुद्ध शुरू होने के प्रथम दिन को सत्तारूढ़ नेकपा (माओवादी) के राष्ट्रीय अवकाश देने के फैसले का विपक्षी नेकपा (एमाले) ने विरोध किया है।
संसद में इस मुद्दे पर गुरुवार को दोनों कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं में तीखी बहस हुई। प्रमुख विपक्षी दल नेकपा (एमाले) के उपाध्यक्ष विष्णु पौडेल ने कहा कि माओवादियों द्वारा शुरू किए गए खूनी खेल को जनयुद्ध दिवस के रूप में नहीं मनाया जाना चाहिए। जिस दिन को नेपाली जनता का खून बहाया गया था, जिस दिन आम निर्दोष जनता की हत्या की शुरुआत की गई थी, उस दिन को उत्सव के रूप में मनाना जनता का अपमान होगा। नेकपा (एमाले) ने जनयुद्ध दिवस पर राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा और उस दिन को उत्सव के रूप में सरकारी आयोजन का विरोध किया है।
विपक्ष के इस विरोध पर सत्तारूढ़ नेकपा (माओवादी) के उप-महासचिव वर्षमान पुन ने कहा कि जनयुद्ध दिवस मनाने का फैसला उस समय किया गया था जब माओवादी और एमाले की सरकार थी, लेकिन आज एक साल बाद विपक्ष में बैठने पर एमाले द्वारा इसका विरोध करना अनुचित है। उन्होंने कहा कि जनयुद्ध दिवस उन लोगों को सम्मान देने के लिए है जिन्होंने अपने अधिकार और पहचान की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दी है। पुन ने कहा कि देश में आए गणतंत्र और संघीय व्यवस्था से लेकर समानुपातिक प्रणाली तथा पिछड़े वर्गों का अधिकार उसी जनयुद्ध के कारण मिला है।
नेपाल सरकार ने पिछली बार 14 फरवरी को जनयुद्ध दिवस मनाने का फैसला किया था। उस समय विपक्ष में रही नेपाली कांग्रेस ने इसका विरोध किया था, लेकिन इस बार नेपाली कांग्रेस सत्तारूढ़ है, जबकि पिछली बार नेकपा (एमाले) सत्तारूढ़ थी और आज वो विपक्षी दल है। हालांकि सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस का एक धड़ा जनयुद्ध दिवस मनाने के खिलाफ है।
साभार -हिस