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बेगम सायरा बानो के राष्ट्रीय राजधानी से होने के नाते हमेशा रहा लगाव
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पुरानी दिल्ली के पकवानों, पतंगबागी, दंगल और फुटबॉल के थे शौकीन
नई दिल्ली। बॉलीवुड के महानायक दिलीप कुमार आज इस दुनिया से रुख्सत हो गए। पाकिस्तान के खैबरपख्तूनख्वा के पेशावर में पैदा होने वाले दिलीप कुमार यानी युसूफ खान ने लंबे अरसे तक भारतीय फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया। उनकी पत्नी सायरा बानो दिल्ली की ही थींए इसलिए उन्हें भी दिल्ली से काफी लगाव था। उन्हें जब भी मौका मिलता तो वह दिल्ली आकर खुद को यहां के परंपरागत खेलों और समाजसेवा के कामों में व्यस्त रखते थे।
आज जैसे ही दिलीप कुमार का निधन होने की खबर मिली तो हिन्दुस्थान समाचार ने दिल्ली में उनके निजी सचिव के तौर पर काम करने वाले सलीम अहमद से संपर्क किया और उनसे उनके निजी जीवन के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की है। उन्होंने खास बातचीत में बताया कि दिलीप कुमार को देश की राजधानी दिल्ली से बेहद मोहब्बत थी। जब भी उन्हें अपने काम से फुर्सत मिलती थी, वह हमेशा दिल्ली की तरफ खिंचे चले आते थे।
अपने दिल्ली प्रवास के दौरान वह पहले सरकारी होटलों में ठहरते थे लेकिन जब ली-मेरिडियन और दूसरे बड़े होटल का निर्माण यहां पर हुआ तो वहां पर ठहरने लगे थे। उन्होंने बताया कि जब उन्हें राज्यसभा का मनोनीत सदस्य बनाया गया तो सरकार की तरफ से उन्हें 19 लोधी रोड की कोठी अलाट की गई थी जहां पर उन्होंने 5 साल का लंबा अरसा व्यतीत किया था। कोठी में हमेशा लोगों का आना-जाना लगा रहता था। दिलीप कुमार समाजसेवा के क्षेत्र में काफी काम करते थे लेकिन वह अपने काम का प्रचार-प्रसार कभी भी नहीं करते थे। उनका मानना था कि ऐसा करके उन्होंने जिनकी मदद की है, उनकी रुसवाई होगी और दूसरे उन्हें इसके बदले अल्लाह से जो शवाब मिलना है, उससे वह महरूम हो जाएंगे।उनके सचिव सलीम अहमद ने बताया कि दिलीप कुमार को पतंग उड़ाने और पतंगबाजी देखने का बहुत शौक था। इसके अलावा वह दंगल देखने के लिए भी अक्सर पुरानी दिल्ली चले जाया करते थे। फुटबॉल का मैच देखना उनका बेहद पसंदीदा शौक था और वह इसको देखने के लिए अक्सर स्टेडियम जाया करते थे। कभी-कभी वह गोल्फ भी खेला करते थे। उन्हें खाने-पीने का भी काफी शौक था। डॉक्टरों की सलाह को नजरअंदाज करते हुए हमेशा कोरमा, बिरयानी और शामी कबाब आदि खा लिया करते थे। उन्हें नेहारी और पाए का बहुत शौक था। दिल्ली आने के बाद उनके कुछ चाहने वाले इसे पका कर लाते थे जिसे वह बहुत शौक से खाते थे।
पुरानी दिल्ली के अजमेरी गेट के पास कुंडा वाला में सायरा बानो की नानी नसीम बानो की कोठी आज भी मौजूद है। इस कोठी में उनकी नानी अपनी गायकी की महफिलें सजाया करती थीं जिसे सुनने के लिए शहर के उस वक्त के रईस और नवाबजादे वगैरह आया करते थे। उन्होंने स्वतंत्रता प्राप्ति के पहले ही मुंबई का रुख कर लिया था और वहीं बस गई थीं। इस कोठी पर बाद में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने अपना बसेरा बना लिया लेकिन अब धीरे-धीरे अधिकांश लोगों ने कोठी को खाली कर दिया है। महरौली के करीब अरबिंदो मार्ग पर सायरा बानो का एक फार्म हाउस भी मौजूद है। यहां पर अक्सर शादी वगैरह के समारोह आयोजित किये जाते हैं।
साभार – हिस