नई दिल्ली. ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी – आर्थिक सहयोग और विकास संगठन)/जी-20 के बहुतायत सदस्यों (भारत सहित) ने कल एक अहम घोषणापत्र को अपना लिया। सभी सदस्य इस बात पर सहमत थे कि अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के कारण टैक्स चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिये। उल्लेखनीय है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां/उद्योग अपने लाभ को ज्यादा टैक्स लेने वाले देशों से निकाल कर उसे कम टैक्स लेने वाले देशों में स्थांतरित कर देते हैं। इस तरह ज्यादा टैक्स वाले देशों के“टैक्स आधार” का “क्षरण” हो जाता है।
इसके प्रस्तावित समाधान में दो घटक हैं– पहला सिद्धांत है कि लाभ के अतिरिक्त हिस्से को देश-विशेष के बाजार में डाल दिया जाये और दूसरे सिद्धांत में न्यूनतम कर शामिल है, जो कर नियमों के अधीन हो।
लाभ को साझा करने और कर नियमों के दायरे से संबंधित कुछ अहम मुद्दे अभी वार्ता के लिये खुले हैं और उनका समाधान किया जाना है। इसके अलावा प्रस्ताव का तकनीकी विवरण भी आने वाले महीनों में तैयार किया जायेगा। अक्टूबर तक उम्मीद है कि इस पर सहमति बन जायेगी।
समाधान निकालने के जिन सिद्धांतों पर अमल किया जा रहा है, उससे भारत की बात को बल मिलता है कि बाजार में ज्यादा से ज्यादा लाभ को साझा किया जाये, लाभ का निवेश करने सम्बंधी घटकों पर विचार किया जाये, सीमा-पार लाभ स्थानांतरित करने के मुद्दे को गंभीरता से हल किया जाये तथा टैक्स नियमों को इस तरह बनाया जाये कि ऐसे व्यक्तियों को रोका जा सके जो नागरिक न होते हुये भी दो देशों के बीच होने वाली टैक्स संधि के लाभों तक परोक्ष रूप से पहुंचने की कोशिश करते हैं।
भारत आम सहमति से ऐसा समाधान निकालने के हक में है, जिसे लागू करना और पालन करना सरल हो। साथ ही समाधान को अर्थपूर्ण होना चाहिये और देशों के बाजारों की सतत आय होनी चाहिये, खासतौर से विकासशील तथा उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की। भारत सिद्धांत-एक और सिद्धांत-दो के हवाले से आम सहमति के आधार पर उनके क्रियान्वयन के लिये तैयार है। वह इस सम्बंध में अक्टूबर तक समाधान चाहता है और इस दिशा में वह अंतर्राष्ट्रीय टैक्स एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिये सकारात्मक योगदान करेगा।
Indo Asian Times । Hindi News Portal । इण्डो एशियन टाइम्स,। हिन्दी न्यूज । न रूकेगा, ना झुकेगा।।
				
		
