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पांच देशों की सीमाओं से लगे पूर्वोत्तर का विकास सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण
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भारत अब अपनी धरती पर हथियारों का निर्माण करके विदेशों को भी करेगा निर्यात
नई दिल्ली, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार को असम दौरे पर पहुंचे और सीमा सड़क संगठन की 12 सीमा सड़कें राष्ट्र को समर्पित कीं। उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक नॉर्थ-ईस्ट का विकास नहीं हुआ। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे पूर्वोत्तर के विकास से इस क्षेत्र में लोगों को लाभ होगा। इस इलाके का सामरिक महत्व इसलिए है क्योंकि पांच देशों के साथ इस इलाके की सीमाएं लगती हैं। इस क्षेत्र का विकास सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारी सरकार ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के अंतर्गत सीमाई क्षेत्रों के संपूर्ण विकास पर बहुत अधिक जोर दे रही है। सीमावर्ती राज्यों में बड़ी संख्या में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण पुलों और सड़कों के कार्य को पूरा किया गया है। पिछले सात सालों के दौरान सड़क परियोजनाओं और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए बीआरओ के बजट में तीन से चार गुना की वृद्धि की गई है। पिछले सात सालों में यहां की सुरक्षा की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। हिंसा से सम्बंधित घटनाओं में 85 फ़ीसदी और नागरिकों और सुरक्षा बलों की दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद जिस तेजी के साथ पूर्वोत्तर का विकास होना चाहिए था, वह नहीं हुआ। यही वजह थी कि यहां के निवासियों की मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं हो पाती थीं लेकिन अब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जिस तरह से पूर्वोत्तर का विकास हुआ है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए कम है। नॉर्थ-ईस्ट क्षेत्र की भौगोलिक नजरिये से अद्भुत विविधता है क्योंकि इसकी सीमाएं बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल से जुड़ीं हैं। इसीलिए इस क्षेत्र में पहले तस्करी से जुड़ीं समस्याएं रहा करती थीं लेकिन नॉर्थ-ईस्ट का विकास होने से अब इस तरह की समस्याएं कम हो रही हैं।
अभी तक भारत विभिन्न तरह के गोला-बारूद और हथियार विदेशों से आयात करता था लेकिन अब फैसला लिया गया है कि भारत अपनी धरती पर ही सेनाओं के लिए हथियारों का निर्माण करेगा। इतना ही नहीं घरेलू जरूरतें पूरी करने के बाद विदेशों को भी भारत में बने हथियार निर्यात किये जायेंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि दो दिन पहले ही गलवान घाटी में हुई घटना को एक साल बीते हैं। भारतीय सेना ने अपने शौर्य एवं पराक्रम का परिचय देते हुए अपना बलिदान दिया है। उन्होंने शहीद जवानों की वीरता को नमन करते हुए कहा कि सीमा क्षेत्रों का विकास होने का फायदा हमारी सेनाओं को भी मिलेगा।
कार्यक्रम में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल के मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू, केन्द्रीय मंत्री किरण रिजीजू, डॉ. जितेंद्र सिंह, लद्दाख के उप राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल राधा कृष्ण माथुर, सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत, बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और सीमा सड़क संगठन के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे। अरुणाचल के किमिन में पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्र को समर्पित की गईं 12 सड़कें अरुणाचल में विकास, औद्योगीकरण और हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखने में मदद करेंगी।
साभार – हिस