नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से सम्बंध रखने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ये शरणार्थी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा तथा पंजाब के 13 जिलों में हैं। गृह मंत्रालय ने शुक्रवार रात इस बारे में अधिसूचना जारी की।
दो साल पहले 2019 में बने सीएए कानून का देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध हुआ था, तब से यह कानून अमल में नहीं लाया जा सका है। अब नयी अधिसूचना के साथ ऐसे शरणार्थियों के लिए भारत के नागरिक बनने का रास्ता साफ हो गया है।
शुक्रवार रात केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में कहा है, ‘नागरिकता कानून-1955 की धारा-16 में दिए गए अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को धारा-5 के तहत भारतीय नागरिक के तौर पर पंजीकृत करने या धारा-6 के अंतर्गत भारतीय नागरिकता का प्रमाणपत्र देने का फैसला किया है। मोरबी, राजकोट, पाटन, वडोडरा (गुजरात), दुर्ग और बलोदाबाजार (छत्तीसगढ़), जालौर, उदयपुर, पाली, बाड़मेर, सिरोही (राजस्थान), फरीदाबाद (हरियाणा) तथा जालंधर (पंजाब) में रह रहे पाकिस्तान, अफगानिस्तान व बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम इसके तहत भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के पात्र हैं।’
अधिसूचना के मुताबिक, ऐसे शरणार्थियों के आवेदन का सत्यापन राज्य के सचिव या जिले के डीएम कर सकेंगे। जिलाधिकारी या राज्य के गृह सचिव एक ऑनलाइन और लिखित रजिस्टर बनाएंगे। रजिस्टर में भारत के नागरिक के रूप में इस तरह के शरणार्थियों का पंजीकरण होगा। इस तरह की जानकारी की एक प्रति सात दिनों के अंदर केंद्र सरकार को भेजनी होगी।
ज्ञातव्य है कि जब 2019 में सीएए कानून बना, तो देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन के बीच 2020 की शुरुआत में दिल्ली में दंगे भी हुए थे। सीएए के तहत भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में से आए उन हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। ये ऐसे लोग होंगे, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ गए थे। तब से यह कानून ठंडे बस्ते में है। बहरहाल, नई अधिसूचना से ऐसे लोग अब भारत के नागरिक हो सकेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार