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कोरोना के 80 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वालेः डॉ. रविचंद्रा

नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित मरीजों में ऑक्सीजन की आवश्यकता में बढ़ोतरी देखी गई। राष्ट्रीय टीबी संस्थान, बेगंलुरु के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. रविचंद्रा बताते हैं कि कोरोना के रिपोर्ट किए गए सभी मामलों में 80 प्रतिशत मामले हल्के लक्षण वाले पाए गए, केवल 15 प्रतिशत मरीजों में बीमारी मध्यम श्रेणी की रही है, जहां ऑक्सीजन का स्तर 94 प्रतिशत से कम हो सकता है। बाकी 5 प्रतिशत कोविड से संक्रमित लोग गंभीर रूप से बीमार हुए, जिनमें ऑक्सीजन स्तर 90 प्रतिशत से कम देखा गया। ऐसे में लोगों के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।

निम्न ऑक्सीजन स्तर के ये हैं लक्षण
सांस लेने में कठिनाई, भ्रम, जागने में कठिनाई और होंठ या चेहरे का नीला पड़ना, कम ऑक्सीजन स्तर की चेतावनी संकेतों में शामिल हैं। वयस्कों को सीने में दर्द हो सकता है, जो दूर नहीं होता। बच्चों को नथुने में जलन, सांस लेने के दौरान घरघराहट या पीने या खाने में असमर्थता का अनुभव हो सकता है।

हमें क्यों चिंतित होना चाहिए
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हाइपोक्सिया (खून में ऑक्सीजन का कम स्तर) के परिणामस्वरूप जान जा सकती है। जब कोविड-19 जैसी बीमारी से कमजोरी के कारण ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है, तो शरीर की कोशिकाओं को अपने सामान्य कार्य करने के लिए पर्याप्त रूप से ऑक्सीजन नहीं मिलती है। यदि ऑक्सीजन का स्तर काफी समय तक कम रहता है, तो शायद उपचार की कमी के कारण, अंग ठीक से काम नहीं करते हैं, गंभीर मामलों में यह मृत्यु का कारण बन सकता है।

जानिए ऑक्सीजन के स्तर को कैसे मापें
ऑक्सीजन के स्तर को मापने के दो आसान तरीके हैं। पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करके एक मरीज के ऑक्सीजन स्तर को माप सकते हैं। इसे आप उनकी उंगली, पैर के अंगूठे या ईयरलोब (कर्णपाली के निचले मांसल भाग) पर रख सकते हैं। यह एक दर्द रहित परीक्षण है, जिसमें दो मिनट से भी कम समय लगता है। पल्स ऑक्सीमीटर मरीज के खून में ऑक्सीजन के स्तर या प्रतिशत को मापता है। पल्स ऑक्सीमीटर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रशिक्षण मैनुअल के अनुसार यदि ऑक्सीजन का स्तर 93 प्रतिशत या उससे कम है तो मरीज को फौरन इलाज की आवश्यकता है। 90 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन स्तर क्लिनिकल रूप से आपात स्थिति है। श्वसन दर व्यक्ति द्वारा प्रति मिनट ली जाने वाली सांस कही जाती है।

बिना किसी उपकरण के कैसे नापें श्वसन दर
राष्ट्रीय टीबी संस्थान बेंगलुरु के डॉ. शोमशेखर बिना किसी उपकरण के श्वसन दर मापने के सरल तरीके को बताते हैं। उनके अनुसार आप अपनी हथेली को अपनी छाती पर रखें और एक मिनट के लिए अपनी श्वसन दर मापें। यदि श्वसन की दर प्रति मिनट 24 से कम होती है तो आपका ऑक्सीजन स्तर सुरक्षित है। यदि किसी मरीज की सांस प्रति मिनट 30 से ज्यादा है तो ऑक्सीजन का स्तर कम है। कम ऑक्सीजन स्तर की स्थित में आप क्या करें प्रोनिंग (पेट के बल लेटना) घरेलू देखभाल के दौर से गुजर रहे मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे पेट के बल लेट जाएं। इससे सांस लेने में सुधार होगा और ऑक्सीजन स्तर बढ़ेगा।

प्रोनिंग की करें प्रैक्टिस
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की “स्वयं की देखभाल के लिए प्रोनिंग” परामर्श में अधिक विवरण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श में नन-इंटुबेटेड (यानी जिन्हें वेंटिलेटर के लिए नली नहीं डाली गई) मरीजों में पेट के बल लेटने (प्रोनिंग) में महत्वपूर्ण बिंदुओं को रेखांकित किया गया है।
अस्पताल में भर्ती होने के लिए श्वसन संबंधी परेशानी वाले किसी भी कोरोना के मरीजों को रोटेशन और शीघ्र आत्म-प्रोनिंग के लिए विचार किया जा सकता है।
मरीज के रोटेशन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि ऑक्सीजन प्रवाह में कोई व्यवधान न हो।
विशिष्ट प्रोटोकॉल में प्रोनिंग स्थिति में 30-120 मिनट, इसके बाद 30-120 मिनट लेफ्ट लैटेरल डिक्यूबिटस (बाईं करवट लेटना), राइट लैटेरल डिक्यूबिटस (दायीं करवट लेटना) और सीधे बैठने की स्थिति शामिल है।

कब और कैसे करें ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का उपयोग
विशेषज्ञों का सुझाव है कि ऑक्सीजन थेरेपी केवल चिकित्सकों की उपस्थिति में ही दी जा सकती है। हालांकि चिकित्सीय मांग होने या एंबुलेंस के इंतजार के समय आपात स्थिति में इसका उपयोग किया जा सकता है।

बीजे मेडिकल कॉलेज पुणे के एनेस्थिसिया (निश्चेतना) विभाग के प्रोफेसर और अध्यक्ष प्रो. संयोगिता नाइक की सलाह है कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का इस्तेमाल कोविड-19 के मध्यम श्रेणी के मामलों में तब किया जा सकता है जब मरीज ऑक्सीजन में गिरावट महसूस करता है, जहां ऑक्सीजन की आवश्यकता अधिकतम प्रति मिनट 5 लीटर हो। प्रोफेसर बताती हैं कि कोविड के बाद की जटिलताओं का अनुभव करने वाले मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बहुत उपयोगी होते हैं, जिन्हें ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत होती है। उपरोक्त दोनों मामलों में ऑक्सीजन थेरेपी का लक्ष्य 94 प्रतिशत के स्तर को हासिल करना है। एक बार यदि मरीज का ऑक्सीजन स्तर 93 या 94 प्रतिशत हो जाता है तो ऑक्सीजन थेरेपी को समाप्त किया जा सकता है। ऑक्सीजन की अधिकता का परिणाम कार्बन डाय़ऑक्साइ के स्तर में वृद्धि हो सकती है, जिससे परेशानी हो सकती है।

साभार-हिस

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