जसवंतगढ़ – साहित्य अकादमी नई दिल्ली और मरूदेश संस्थान सूजानगढ़ के तत्वावधान में जसवन्तगढ़ के सेठ सूरजमल तापड़िया आचार्य संस्कृत महाविद्यालय परिसर में ‘ग्रामलोक’ कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें राजस्थानी साहित्य, कला व संस्कृति पर चर्चा हुई। महाकवि कन्हैयालाल सेठिया जन्म शताब्दी पर श्रृंखलाबद्ध रूप से आयोजित होने वाले साहित्यिक कार्यक्रमों की कड़ी में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारम्भ कन्हैयालाल सेठिया की सुप्रसिद्ध रचना ‘धरती धोरां री’ के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। ग्रामलोक कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार भंवरसिंह सामौर ने आयोजन के प्रारम्भ में साहित्य अकादमी के क्रियाकलापों की जानकारी देते हुए राजस्थानी साहित्य में कवि कन्हैयालाल सेठिया के अवदान के सम्बन्ध में बताया।
ग्रामलोक कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध उधोगपति बजरंगलाल तापड़िया ने कहा कि राजस्थानी भाषा व संस्कृति सबसे अलग है। उन्होंने उन्होंने ग्रामलोक कार्यक्रम को साहित्य संवर्धन व भाषा संरक्षण का सराहनीय उपक्रम बताते हुए आयोजकों को साधुवाद दिया। ग्रामलोक की मुख्य अतिथि कटक ( ओडिशा ) की प्रवासी वरिष्ठ कवयित्री पुष्पा सिंघी ने कहा कि हम प्रवासी सुदूर प्रदेशों में रहने के बाद भी अपनी मातृभूमि और मातृभाषा से दूर नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम बाहर अंग्रेजी, हिन्दी व क्षेत्रीय भाषा में संवाद करते हैं, मगर अपने परिवार में राजस्थानी में ही वार्तालाप करते हैं।
पुष्पा सिंघी ने कहा कि मातृभाषा का अधिकाधिक उपयोग करना ही उसका संरक्षण है। इस अवसर पर उन्होने कन्याभ्रूण हत्या के संदर्भ में अपनी कविता ‘‘माँ मुझको दे तू जीने का अधिकार’’ सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम में जसवन्तगढ़ के वरिष्ठ नागरिक नन्दलाल मिश्रा, हेमराज सोनी, वैद्य रमेश पारीक, मालचंद सिंघी आदि मंचस्थ थे। स्वागताध्यक्ष व प्राचार्य डॉ हेमन्तकृष्ण मिश्र ने सभी रचनाकारों का और ग्रामलोक कार्यक्रम का परिचय प्रस्तुत किया। कवयित्री व शिक्षिका स्नेहप्रभा मिश्रा, वरिष्ठ कवि हाजी शमसुदीन स्नेही, कवयित्री प्रेमलता बेगवानी ने व वरिष्ठ कवि डॉ. गजादान चारण ‘शक्तिसुत’ ने विभिन्न रसों में काव्यपाठ कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। समाहार वक्तव्य देते हुए रतन सैन के राजस्थानी भाषा की काव्य परम्परा के सम्बन्ध में जानकारी दी।
संचालन मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा ने किया। कार्यक्रम में आगन्तुक अतिथियों व रचनाकारों का पुष्पमाला, अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मान प्रदान किया गया। आयोजन में जसवन्तगढ़ के गणमान्यजन, नागरिक, विधार्थियों के अलावा निकटवर्ती गांवों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। श्रीमती पुष्पा सिंघी को हाल ही में बेंगलुरु में आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में अणुव्रत महासमिति द्वारा अणुव्रत राष्ट्रीय लेखक पुरस्कार 2019 के अंतर्गत अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न, साहित्य व राशि प्रदान की गयी, जिसका उपयोग उन्होंने साहित्यिक कार्य में लगाने की मंशा जताई। केबी हिन्दी साहित्य समिति, बदायूँ द्वारा अखिल भारतीय सम्मान समारोह में उनकी पुस्तक मौन का अनुवाद पर मिर्जा नासिर हसन स्मृति साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।