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कोरोना संक्रमण की गंभीरता का इंतजार करने की जरूरत नहीं, संभलकर लेने होंगे निर्णय
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
ओडिशा में कोरोना की रफ्तार ने साफ कर दिया है कि अभी नहीं संभले तो हालात हाथ से निकल जायेंगे. वक्त हर स्तर पर कठोर फैसले लेने का आ गया है. यह फैसला हम खुद लें या सरकार, लेकिन हालात को हाथ के अधीन रखने के लिए यह आवश्यक हो गया है.
जिस तरह से राज्य में चिकित्सा क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञ चिंता जाहिर कर रहे हैं, उसी हिसाब से कोरोना ने रफ्तार पकड़ी है. यदि समय रहते कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाता है तो ओडिशा को भी दिल्ली, महाराष्ट्, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और गुजरात जैसे हालातों का सामना करना पड़ सकता है.
बीते 24 घंटे में राज्य में कोरोना से सात मरीजों की मौत हुई है और 6164 नये संक्रमित पाये गये हैं. यह आंकड़ा 21 अप्रैल को काफी कम था. 21 अप्रैल को पांच कोरोना संक्रमितों की मौत हुई थी, जबकि संक्रमितों की संख्या 4851 थी. इस तरह से बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण में 1313 अंकों की बढ़त देखी गयी है. इसी तरह के हालात ओडिशा की राजधानी खुर्दा जिले की भी है. खुर्दा जिले में 21 अप्रैल को जहां कोरोना संक्रमितों की संख्या 703 थी, वहीं आज यह संख्या 1132 हो गयी है. अर्थात बीते 24 घंटे के दौरान 429 अंकों की बढ़त हुई है.
कोरोना की इस बेकाबू चाल की अनदेखी खुद को खतरे में डालने से कम नहीं है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि अन्य राज्यों के हालात जैसी स्थिति ओडिशा की भी हो, उससे पहले ही कुछ निर्णय लिये जायें. कई राज्यों में कठोर निर्णय उस समय लिये गये थे, जब कोरोना संक्रमण के हालात बेकाबू हो गये थे और उस निर्णय के बावजूद स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. कहीं अस्पतालों में बेड नहीं उपलब्ध है, तो कहीं आक्सीजन की कमी है. इसलिए जरूरी है कि राज्य की जनता और सरकार कठोरता से एक निर्णय लेने के लिए तैयार हो जायें.
वैसे भी निर्णय लेने वाले अक्सर कठघरे में होते हैं, लेकिन उन्हें आलोचनाओं का ध्यान छोड़कर निर्णय लेने पड़ते हैं. अब समय आया है कुछ नया प्रयोग करने का. संपूर्ण लाकडाउ- शटडाउन की जगह अल्टर-डे लाकडाउन का प्रयोग कुछ कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि कोरोना की जिंदगी आठ से 10 घंटे बतायी जा रही है. अगर ऐसा सही तो 24 घंटे के अंतराल पर लाकडाउन या शटडाउन का प्रयोग कोरोना की रफ्तार को रोकने में मददगार साबित हो सकता है और अर्थव्यवस्था को भी डूबने से बचाने का एक जरिया हो सकता है. यह प्रयोग कितना सफल होगा, यह तो इसका प्रयोग की बता सकता है.
इस फर्मूले का प्रयोग को जनता को भी आत्मसात करने की जरूरत है. यदि ज्यादा जरूरी न हो तो आप एक दिन के अंतराल के बाद ही घरों से निकलें. इस तरह से बाजारों और सावर्जनिक स्थलों पर भीड़ कम होगी और कोरोना का संक्रमण भी रोका जा सकता है.