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डॉ महताब – ओडिशा इतिहास का हिंदी संस्करण का प्रधानमंत्री ने किया विमोचन
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आज का दिन ओडिशा के लिए लंबे समय तक नया परिचय बनकर रहेगा – धर्मेंद्र प्रधान
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हिन्दी के विद्वान, अनुवादक तथा उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय के मुख्य सलाहकार डा शंकरलाल पुरोहित ने किया है अनुवाद
भुवनेश्वर. उत्कल केशरी डा हरेकृष्ण महताब भारत की स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख आधार स्तंभ थे. शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वर्गीय डॉक्टर महताब द्वारा लिखित ओडिशा इतिहास पुस्तक का हिंदी संस्करण का विमोचन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह बात कही. उन्होंने कहा कि डॉक्टर महताब देश की स्वतंत्रता के लिए व बाद में स्वतंत्रता के बाद लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल गए थे.
उन्होंने कहा कि हमारे इतिहास को व्यापक रूप में पढ़ने की आवश्यकता है. इतिहास केवल अतीत की घटनाओं का अनुध्यान करना नहीं है, बल्कि भविष्य का आईना भी है. ओडिशा का इतिहास पुस्तक को पढ़ने का मतलब है ओडिशा को जानना. ओडिशा हमारे देश के सांस्कृतिक विविधता का संपूर्ण चित्र है.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर ओडिशा के नेतृत्व को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका लेने वाले डॉक्टर महताब द्वारा रचित ओडिशा इतिहास का हिंदी संस्करण आज प्रधानमंत्री द्वारा विमोचन किया जाना डॉक्टर महताब कि जैसे महान व्यक्ति वह कार्य के प्रति सही श्रद्धांजलि है. आज का दिन ओडिशा के सामाजिक जीवन में एक नया परिचय बनकर रहेगा. प्रधानमंत्री द्वारा विमोचन किए गए इस पुस्तक का पूरे देश के पाठकों द्वारा निश्चित रुप सराहा जाएगा. प्रधान ने इस अवसर पर इस पुस्तक के अनुवादक डॉ शंकर लाल पुरोहित तथा आयोजक उड़िया समाज वह पुस्तक से जुड़े सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस पुस्तक का विमोचन होना ओडिशा के लोगों के लिए गर्व का विषय है. उन्होंने कहा कि डा महताब ओड़िया लोगों के परिचय थे. वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे राष्ट्रीय स्तर पर ओडिशाके नेतृत्व को स्थापित करने में उनकी बड़ी भूमिका थी. 1946 तक 2 साल तक अहमदनगर की जेल में थे. उस समय उन्होंने ओडिशा इतिहास पुस्तक का किया था. उनकी यह पुस्तक पुस्तक नहीं है, बल्कि ओडिशा की महान गाथा का परिचय देती है. इस अवसर पर डॉ हरे कृष्ण महताब के पुत्र तथा कटक से सांसद भतृहरी महताब भी उपस्थित थे.
उल्लेखनीय है कि इस पुस्तक के अनुवादक डाक्टर शंकरलाल पुरोहित हिन्दी के विद्वानों में से एक हैं तथा वर्तमान समय में यह राजधानी स्थित उत्कल अनुज हिन्दी पुस्तकालय के मुख्य सलाहकार भी हैं.