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राजद को लोकतंत्र नहीं, गुंडातंत्र और जंगलराज पर है भरोसा : भाजपा

बेगूसराय, बिहार विधानसभा में हुए हंगामे को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तेजस्वी यादव समेत पूरे विपक्ष पर जोरदार हमला किया है। प्रदेश भाजपा मीडिया सेल के संयोजक-सह-बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार ने बुधवार को कहा है कि 90 के दशक में राजद को लोकतंत्र पर भरोसा नहीं था। वह सिर्फ गुंडातंत्र जानते थे, गुंडाराज और जंगलराज चलाते थे। उसी का एक दृश्य मंगलवार को राजद ने दिखाने का प्रयास किया लेकिन बिहार की जनता जाग गई है।
कुंदन कुमार ने कहा कि जनता ने देख लिया है कि पोस्टर-बैनर से अपने पिता का फोटो हटाने से तेजस्वी यादव के नीयत और नीति में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। वह जंगलराज के पुजारी हैं, लोकतंत्र पर भरोसा नहीं करते हैं, उन्हें सिर्फ गुंडाराज पर भरोसा है। पुलिस पर पत्थर चलाया गया, विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बनाया गया। विधानसभा अध्यक्ष को बंदी बनाकर तेजस्वी किससे समय मांग रहे थे। प्रेम कुमार ने जब सदन चलाने का प्रयास किया तो राजद के गुंडों ने पेपर छीनकर हाथापाई किया। यह दर्शाता है कि सदन की मर्यादा को तार-तार करने का काम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्ष ने किया है। तेजस्वी यादव ने जानबूझकर अपने युवा नेताओं और विधायकों को पिटवा दिया। पहले लोग कहते थे कि तेजस्वी यादव पढ़े लिखे नहीं हैं, सिर्फ नौवीं पास है तो मुझे लगता था कि वह दूसरे से पढ़वाकर समझते होंगे लेकिन वे यह काम भी नहीं कर रहे हैं। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बगैर कुछ पढ़े-लिखे जनता को गुमराह किया जा रहा है।
कुंदन कुमार ने कहा कि विधेयक को लेकर झूठा भ्रम फैलाया गया और उसके आर में विपक्षी दल राजद, वामपंथी दल और कांग्रेस द्वारा सदन से सड़क तक निंदनीय हरकत किया गया। जिस विधेयक को लेकर यह कुकृत्य किया गया है उसके नाम से ही साफ है कि इसे सामान्य पुलिसिंग से कोई लेना देना नहीं है। बिहार मिलिट्री पुलिस पहले से है, उसका नाम बदलकर बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल किया गया है। जिसमें स्पष्ट है कि बिहार तेजी से विकसित होता राज्य है और इसके महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों, हवाई अड्डा आदि की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस बल का गठन किया गया है। सिर्फ प्रतिष्ठान के सुरक्षा की जवाबदेही रहने पर ही संदेह के आधार पर किसी को गिरफ्तार करने का कानून बनाया गया है। इससे समान्य पुलिसिया व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। यह ना तो काला कानून है और ना ही इससे लोगों के अधिकार का किसी प्रकार से हनन होने वाला है।
साभार – हिस

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