कोलकाता, वर्ष 1984 में विनोबा भावे आए थे, मैंने उन्हें प्रणाम किया और कांग्रेस का झंडा थाम लिया था। तब से 56 वर्ष के हो गए हैं और आज भी बिना डिगे उनका यह सफर जारी है। यह बातें वरिष्ठ कांग्रेस नेता व हुगली के चांपदानी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार अब्दुल मन्नान ने कही।मंगलवार को प्रचार अभियान केे दौरान मन्नान ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि वे शुक्रवार को अपना नामांकन दाखिल करेंगे लेकिन उनका चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है। उन्होंने बताया कि मैं भद्रकाली हाई स्कूल में पढ़ाता था। मैंने शादी नहीं की और राजनीतिक लोग ही मेरा परिवार हैं। पेंशन के पैसे से काम चल जाता है। कई चीजों की तरह राजनीति और मतदान प्रक्रिया भी बदल गए हैं लेकिन मैं वही हूं। मैं ट्रेन और बस से कोलकाता जाता हूं, चिलचिलाती धूप में मैं पैदल ही प्रचार करता हूँ। मेरा कोई प्रायोजक नहीं हैं।
वर्ष 2006 की हार के संबंध में उन्होंने बताया कि अगर तृणमूल नहीं लड़ी होती तो मैं नहीं हारता। उसके बाद ममता बनर्जी की रणनीति के कारण मैं 2011 में उम्मीदवार नहीं बन सका। इस बार के चुनाव में जीत की संभावनाओं के बारे पूछने पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने जवाब दिया कि इस समय कई कारक काम कर रहे हैं। मैं कैसे कह सकता हूं? ‘2006 में भी किसी को एहसास नहीं हुआ था कि मैं हार जाऊंगा ! चलो देखते हैं। लोग उम्मीद के साथ जीते हैं।
उल्लेखनीय है कि मन्नान लंबे समय से राजनीति से जुड़े रहे हैं।1962 में अब्दुल मन्नान ने पहली बार आरामबाग निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता था। लेकिन 1987 में चुनाव हार गए। मन्नान चांपदानी विधानसभा क्षेत्र से 1991 से लगातार 2001 तक कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतते रहे। हालांकि 2006 में इस सीट से उन्हें हार का साामना करना पड़ा था।
साभार- हिस
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