Home / National / दिल्ली : बेरोजगारी के मुद्दे पर एनएसयूआई की हुंकार, संसद भवन तक निकाला मार्च

दिल्ली : बेरोजगारी के मुद्दे पर एनएसयूआई की हुंकार, संसद भवन तक निकाला मार्च

नई दिल्ली, बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस संबद्ध छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट युनियन (एनएसयूआई) ने शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में मार्च निकाला। एनएसयूआई का यह मार्च रायसीना रोड स्थित उनके मुख्यालय से संसद भवन तक निकाला गया।इस मौके पर एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग ने बताया कि ‘91 साल पहले आज के ही दिन महात्मा गांधी ने ब्रिटिश राज के खिलाफ दांडी मार्च किया था। और आज देश के युवा अत्याचारी सरकार के खिलाफ शक्ति मार्च करने जा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस मार्च के जरिए युवाओं को रोजगार और उनके अधिकारों के प्रति सजग करने का काम किए जाएगा।एनएसयूआई सचिव ने आगे कहा कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों का खामियाजा सिर्फ युवाओं को बेरोजगारी के रूप में ही नहीं चुकाना पड़ा रहा, बल्कि शिक्षक भर्ती के 69 हजार पदों पर दिव्यांगों के आरक्षण के मामले में भी घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि कहां तो तय था कि चार प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी लेकिन सिर्फ 1762 सीटों पर भी दिव्यांगों की भर्ती हुई, जबकि चार प्रतिशत के हिसाब से आरक्षित सीटों की संख्या 2760 होनी चाहिए थी। इस तरह के आंकड़ें बताते हुए हैं कि ये सरकार युवाओं से रोजगार ही नहीं छीन ही बल्कि उनके आगे बढ़ने के अवसर को भी समाप्त करने का काम कर रही है।
मार्च में शामिल होने के लिए छत्तीसगढ़ से आए युवा सौरभ सोनकर ने कहा कि संसद का घेराव करने के बाद एनएसयूआई का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति को संबोधित करते हुुए अपनी संबंधी ज्ञापन भी सौंपेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवाओँ के समक्ष बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। बीते वर्ष अक्टूबर माह में भारत में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बेरोजगारी दर में वृद्धि दर्ज हुई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक सितम्बर 2020 में भारत की बेरोजगारी दर अक्टूबर में बढ़कर 6.98 प्रतिशत हो गई।’वहीं, राजस्थान से आये उस्मान आली ने कहा कि केंद्र की इस सरकार के विनाशकारी कदमों के पीछे अब कोई महामारी का बहाना नहीं है। उन्होंने कहा कि निजीकरण को रोकें, रिक्तियों को बढ़ाएं और युवाओं को कौशल और रोजगार दें। इसके अलावा, समय पर परिणामों की उचित घोषणा के साथ परीक्षा आयोजित करें ताकि मानव संसाधन व्यर्थ न जाए।उल्लेखनीय है कि एनएसयूआई लगातार छात्रों के मुद्दे पर सरकार को घेरता रहा है। चाहे दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डिजिटल डिग्री के लिए 750 रुपये शुल्क लेने का विरोध करना हो या ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से हो रही अनियमितताओं का मामला हो.. सभी मुद्दों पर एनएसयूआई मुखर रूप से सामने आया है।
साभार-हिस

Share this news

About desk

Check Also

झारखंड में पीजीटी का स्थगित होना राज्य के लाखों युवाओं की जीत : हिमंत बिस्वा सरमा

रांची। राज्य सरकार के द्वारा स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा पास अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *