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भारत में पिछले 15 वर्षों में गुर्दा रोग के मरीजों की संख्या हुई दोगुनी: डॉ.दीपक दीवान

  • विश्व गुर्दा दिवस 11 मार्च को, विशेषज्ञों ने मरीजों को दी जीवनशैली में स्वस्थ बदलाव की सलाह

लखनऊ, भारत में पिछले 15 सालों में गुर्दा रोग के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। लोगों को मधुमेह के बारे में सीमित ज्ञान और जागरूकता है, जो भारत में गुर्दा रोग का सबसे बड़ा कारण है। मधुमेह के कुप्रबंधन से गुर्दे फेल हो जाते हैं या डायलिसिस कराने की नौबत आ सकती है। गुर्दा रोग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें गुर्दे ठीक से काम नहीं करते और रक्त से अपशिष्ट उत्पादों को फिल्टर नहीं कर पाते हैं।
यह बात गुर्दा रोग विशेषज्ञ और रीनल साइंसेस, रीजेंसी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ के डायरेक्टर डॉ. दीपक दीवान ने बुधवार को यहां कही। वह विश्व गुर्दा दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस साल की थीम ‘गुर्दा रोगों के साथ गुणवत्ता पूर्वक जीवन’ को ध्यान में रखते हुए यह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
डॉ. दीपक दीवान ने कहा कि गुर्दा रोग के मरीजों की संख्या में इतने बड़े पैमाने पर इजाफे को देखते हुए जरूरी है कि गुर्दे की बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाई जाए। लोगों को गुर्दे का ख्याल रखने के लिए स्वस्थ जीवन शैली के लिए संकल्प लेना चाहिए। इनमें नियमित व्यायाम, कम नमक वाला पौष्टिक भोजन, अत्यधिक तेलयुक्त भारी भोजन से परहेज जैसे अहम बिन्दू हैं। इसके साथ ही मधुमेह और रक्तचाप को नियंत्रित करना, धूम्रपान से दूरी और तनाव मुक्त जीवन जीना भी इसका हिस्सा हैं।
डॉ. दीपक दीवान ने कहा कि हमें अपने गुर्दे की बीमारियों से डरना नहीं चाहिए बल्कि हमें इसके साथ एक गुणवत्तापूर्ण जीवन जीना सीखना चाहिए। गुर्दे की बीमारी होने के बावजूद इसके मरीज खुद को स्वस्थ रख सकते हैं। यदि लोग अपनी जीवनशैली और आहार का ध्यान रखते हैं और चिकित्सकों की सलाह का पालन करते हैं तो वह गुर्दे के कार्य में गिरावट को धीमा कर सकते है। इसके साथ ही एक लम्बे स्वस्थ और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
विश्व गुर्दा दिवस हमारे गुर्दे के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक वैश्विक अभियान है। यह हर साल मार्च के दूसरे गुरुवार को होता है इस वर्ष यह 11 मार्च को मनाया जाएगा। विश्व किडनी दिवस की शुरूआत 2006 से हुई थी। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को किडनी सम्बन्धी रोगों के प्रति जागरूक करना और समस्या का निदान करना है। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ किडनी डिसीजेस और इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी द्वारा लगातार बढ़ रही किडनी डिसीज को बढ़ता देख यह दिवस मनाने का निर्णय किया गया।
किडनी की बिमारी के प्रमुख लक्षण
पैरों और आंखों के नीचे सूजन।
चलने पर जल्दी थकान और सांस फूलना।
रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना।
भूख न लगना और हाजमा ठीक न रहना।
खून की कमी से शरीर पीला पड़ना।

किडनी रोगों से बचने के उपाय
खाने में नमक, सोडियम और प्रोटीन की मात्रा का ध्यान रखना।
35 साल के बाद साल में कम-से-कम एक बार ब्लड प्रेशर और शुगर की जांच जरूर कराएं।
ब्लड प्रेशर या डायबिटीज के लक्षण मिलने पर हर छह महीने में पेशाब और खून की जांच कराएं।
रोज आठ से दस गिलास पानी पिएं।
फल और हरी सब्जियां ज्यादा सेवन करना।
मैग्नीशियम किडनी को सुचारू रूपसे काम करने में मदद कर सकता है ऐसे फूड्स का सेवन करना जिसमें मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में हो।
न्यूट्रिशन से भरपूर खाना, रोजाना एक्सरसाइज और वजन कंट्रोल रखने से भी किडनी की बीमारी से बचा जा सकता है।
साभार-हिस

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