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स्वार्थ रहित राजनीति के बिना देश की प्रगति संभव नहीं : प्रसाद रंजन

कोलकाता, देश में राजनीतिक आदर्शों का पतन तेजी से हुआ है। आजादी के दीवानों ने जिस भावना के साथ देश के लिए लड़ाई की, अपने आपको कुर्बान किया, उस त्याग और बलिदान का मान नहीं रखा जा रहा है। सार्वजनिक जीवन में राजनीति करने वाले लोगों के चरित्र में क्षरण हो रहा है और मुख्य मुद्दे गौण होते जा रहे हैं। स्वार्थ केंद्रित राजनीति हो रही है जिसकी वजह से देश और समाज का विकास रुक गया है। यह कहना है बंगाल की मशहूर शख्सियत प्रसाद रंजन दास का। वाममोर्चा के शासनकाल में पश्चिम बंगाल के चीफ आर्किटेक्ट रहे देशबंधु चितरंजन दास के पौत्र प्रसाद रंजन दास बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। बेहतरीन इंजीनियर होने के साथ ही वह कमाल के गायक और वादक हैं। इसके साथ ही उनकी पहचान अच्छे लेखक तथा कवि के रूप में भी है। ओजस्वी भाषणों और किसी भी मुद्दे पर बेबाक राय रखने के लिए विख्यात प्रसाद रंजन से “हिन्दुस्थान समाचार” संवाददाता ओमप्रकाश सिंह ने विस्ततृ बातचीत की। पेश है उनसे बातचीत के खास अंश:-
प्रश्न : आप राज्य के चीफ आर्किटेक्ट रहे हैं। वाममोर्चा शासन के बाद राजधानी कोलकाता और राज्य के अन्य हिस्सों में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से लेकर जल निकासी व्यवस्था तक में कितना सुधार हुआ है?
उत्तर : पश्चिम बंगाल के असली आर्किटेक्ट पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रॉय थे। उन्होंने राजधानी कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों के विकास के लिए एक व्यापक खाका तैयार किया था जिस पर वाममोर्चा की सरकार चली और अब तक उसी रूपरेखा पर काम हो रहा है। समय के साथ विकास होना चाहिए यह नियम रहा है लेकिन जिस बड़े पैमाने पर विकास की उम्मीद की जाती है, असल तस्वीर उससे अलग है।
बारिश मानव सभ्यता के लिए बहुत बड़ा वरदान है। बारिश के मौसम में आसमान से बरसने वाले पानी को निकासी के बजाय संरक्षण पर हमें ज्यादा जोर देना चाहिए। अगर जल नहीं है तो हम जीवन की कल्पना नहीं कर सकते और बारिश के रूप में जीवन बरसता है। भूजल दोहन की वजह से लगातार पानी की कमी होती जा रही है और इसका एक मात्र उपाय बारिश के पानी का संरक्षण कर उसका आम जनों के लिए इस्तेमाल करने का इंफ्रास्ट्रक्चर तत्काल विकसित करना चाहिए।
प्रश्न: भले मानस की भूमि कही जाने वाली बंगाल आज हिंसा के लिए पूरी दुनिया में कुख्यात है। बंगाल को इससे निजात कैसे मिलेगी?
उत्तर : राजनीति लोगों की भलाई के लिए होनी चाहिए। इस देश की आजादी तभी मिली जब स्वतंत्रता सेनानियों ने बिना किसी स्वार्थ के आंदोलन किए। लोगों के हित में लड़ाइयां लड़ीं और अपने हित को पीछे रखा। आज ट्रेंड बदल गया है। राजनीति फायदे का सौदा हो गई है। लोग इसलिए पॉलिटिक्स करते हैं ताकि इसका निजी लाभ उठा सकें। कोई पावर के लिए करता है तो कोई पैसों के लिए। भ्रष्टाचार और राजनीति का गठजोड़ जनसेवा के इस लोकतांत्रिक स्वरूप को बिगाड़ चुका है। बंगाल हो या देश का कोई भी हिस्सा, हिंसा अथवा किसी भी जनविरोधी संस्कृति से तभी निजात मिलेगी जब लोग त्याग की राजनीति करेंगे।
प्रश्न : गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने ऐसे देश का निर्माण चाहा था जहां डर ना हो, लोग सम्मान से सिर उठा सके, लेकिन बंगाल आज वहां खड़ा नहीं है। आपका क्या कहना है?
उत्तर : (इस सवाल के जवाब में प्रसाद रंजन ने गुरुदेव की वह कविता सुनाइ जिसमें उन्होंने ऐसे देश के निर्माण की बात कही है जिसमें सिर गर्व से ऊंचा हो और कोई डर ना हो।) इसके बाद उन्होंने कहा, “गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर हो अथवा देशबंधु चितरंजन दास, इन सभी का एक ही सपना था कि सबके बीच प्रेम और सद्भावना हो। आज हालात बदल गए हैं। कोई जाति की राजनीति करता है तो कोई धर्म की। कोई ऊंच-नीच और कहीं अमीरी गरीबी की राजनीति हो रही है। नैतिक शिक्षा का अभाव है और बेरोजगारी बदहाली का आलम ऐसा है कि लोग कैसे भी सत्तारूढ़ पार्टी को खुश करने के लिए सही गलत कदम उठा रहे हैं। इस हालात को बदलने के लिए ऊर्जावान युवाओं को स्वार्थ छोड़कर राजनीति में आना होगा।
प्रश्न : गुरुदेव टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय की जमीन कब्जा करने का आरोप नोबेल विजेता अमर्त्य सेन पर है। आपका क्या कहना है?
उत्तर : आज हालात बहुत बिगड़ चुके हैं। बंगाल अपने महापुरुषों का सम्मान करना भूलता जा रहा है। अमर्त्य सेन भी एक महान व्यक्ति हैं और गुरुदेव भी एक महान व्यक्ति थे। लेकिन आज दोनों को राजनीति का मोहरा बनाया जा रहा है और लोग इसमें फंसते जा रहे हैं। गुरुदेव ने विश्व भारती विश्वविद्यालय बनाया था। यह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ स्कूल के रूप में था लेकिन आज इस पर भी राजनीति का रंग चढ़ गया है जिसकी वजह से समस्याएं हैं।
प्रश्न : औपनिवेशिक काल में बंगाल देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहा है लेकिन अब यहां विकास बाधित है। कैसे बदलाव होगा?
उत्तर : (इस सवाल के जवाब में प्रसाद रंजन ने “हम होंगे कामयाब एक दिन” गीत को गाया) और कहा कि उम्मीदों पर दुनिया टिकी है। हमें भी राज्य और देश के सकारात्मक बदलाव और विकास के लिए उम्मीद रखनी होगी। बंगाल एक ऐसा राज्य है जहां लोग भले मानस हैं और शिक्षित, समझदार और जागरूक हैं। हम थोड़े समय के लिए संक्रमण के दौर से जरूर गुजर रहे हैं लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब हम इन तमाम समस्याओं से पार पाने में कामयाब होंगे। यहां से हिंसा भी खत्म होगी और विकास भी तेजी से होगा।
प्रश्न : एक इंजीनियर इतना शानदार गायक, कवि और लेखक कैसे बने?
उत्तर : बचपन से ही मैं काफी मेधावी था और पुरुलिया जिले में जहां मेरा घर है वहां सुबह कोयल की कूक और चिड़ियों की चहचहाहट के साथ शुरू होती थी। वास्तव में देखा जाए तो चिड़ियों की चहक ही नैसर्गिक संगीत है और इसे मैं बखूबी अपने दिमाग में उतारता चला गया था। बचपन से ही पढ़ाई के साथ संगीत का शौक था जो जीवन के आखिरी सांस तक रहने वाला है। यह जवाब देने के बाद उन्होंने गिटार उठाया और बंगाल के लोकगीतों का शानदार समा बांधा जो अद्वितीय था। अच्छे कवि और लेखक के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह बड़े पैमाने पर अध्ययन करते हैं । उनका कहना था कि एक अच्छा पाठक अच्छा लेखक और कवि आसानी से हो सकता है।
साभार-हिस

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