भुवनेश्वर. कोटिया विवाद को लेकर उच्चतम न्यायालय में ओडिशा सरकार के वकील ने आंध्र प्रदेश सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय (19 मार्च तक) मांगा है.
उल्लेखनीय है कि आंध्र प्रदेश ने कोरापुट जिला के कोटिया समेत मालकानगिरि, गजपति और गंजाम जिले के सीमावर्ती गांवों में संप्रभुता कायम करने में जुटा है. कोटिया के तीन गांवों के नाम भी बदल दिये हैं. इन क्षेत्रों में पंचायत चुनाव भी कराया है. इसे लेकर ओडिशा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए अवमानना का मामला दायर किया था. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया था.
शीर्ष अदालत ने 2006 में ओडिशा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था और यथास्थिति बनाये रखने के लिए कहा था. इसे एक आधार बनाते हुए ओडिशा सरकार ने आंध्र प्रदेश के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना की मांग की थी.
ओडिशा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की नोटिस पर आंध्र प्रदेश सरकार ने 18 फरवरी को शीर्ष अदालत में अपना हलफनामा दायर किया. सूत्रों ने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में शीर्ष अदालत के समक्ष ओडिशा द्वारा दायर अदालत की याचिका की अवमानना को खारिज करने का अनुरोध किया है. सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत हलफनामा में आंध्र प्रदेश सरकार ने तर्क दिया कि अदालत की अवमानना का कोई भी मामला नहीं बनता है, क्योंकि 2006 में मामले का निपटारा करते समय शीर्ष अदालत द्वारा यथास्थिति के रखरखाव के बारे में कोई आदेश पारित नहीं किया गया था.
आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में मुकदमा खारिज कर दिया था, क्योंकि तब मामला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत बनाए रखने योग्य नहीं था. अदालत द्वारा मुकदमा खारिज किए जाने के बाद यथास्थिति के बारे में बयान दिया गया था और न्यायालय ने इस आशय के किसी भी निर्देश को पारित नहीं किया था.