नई दिल्ली। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने भारतीय तटरेखा पर विश्व स्तर का तैरता हुआ (फ्लोटिंग) बुनियादी ढांचा स्थापित करने के उद्देश्य से फ्लोटिंग स्ट्रक्चर्स के लिए अंतिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों में भावी परियोजनाओं के लिए प्रावधान किए गए है।
दिशानिर्देशों में बंदरगाहों, लघु बंदरगाहों, मछली पकड़ने और मछली उतारने के बंदरगाह केन्द्रों, वाटरड्रोम और तटीय क्षेत्रों, मोहल्लों, जलमार्गों, नदियों और जलाशयों में इस तरह की अन्य सुविधाओं के लिए तैरती हुई जेट्टी और प्लेटफॉर्मों के लिए विभिन्न तकनीकी पहलुओं को निर्धारित किया गया है। इन दिशानिर्देशों का उपयोग लघु बंदरगाहों/मछली उतारने वाले केन्द्रों की सुविधाओं के साथ-साथ विभिन्न जल प्रणालियों में फ्लोटिंग पोंटूनों/प्लेटफार्मों और फ्लोटिंग वेव अटेन्यूएटर्स (या ब्रेकवाटर) के लिए उपयुक्त रूप से किया जा सकता है।
अपने अंतर्निहित लाभों के कारण फ्लोटिंग संरचना एक आकर्षक समाधान है और इसलिए पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय इसे बढ़ावा दे रहा है। पारंपरिक घाटों और निश्चित कंक्रीट संरचनाओं की तुलना में फ्लोटिंग जेट्टी/संरचनाओं के कई लाभ हैं। इनमें इसकी कम लागत, तेजी से कार्यान्वयन, आसानी से विस्तार योग्य होना और एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाए जाने योग्य होना शामिल हैं, इसके अलावा इसका पर्यावरण पर भी न्यूनतम असर पड़ता है।
मंत्रालय ने गोवा में यात्री फ्लोटिंग जेट्टी, साबरमती नदी और सरदार सरोवर बांध जलाशय (सीप्लेन सेवा) में वॉटर एयरोड्रोम सहित कुछ परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है, जो संतोषजनक रूप से काम कर रही हैं। तटीय समुदाय के समग्र विकास और उन्नति के लिए मंत्रालय ने कई परियोजनाओं की योजना तैयार की है।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि मंत्रालय ने इन दिशा-निर्देशों के तहत अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप मानक विनिर्देश तय किए हैं। पारंपरिक/निश्चित कंक्रीट संरचनाओं की तुलना में इन प्लेटफार्मों के कई फायदे हैं। हमारे मंत्रालय का प्रयास है कि देशभर में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए और भावी परियोजनाओं के जरिए उपयोग, स्थायित्व, सुरक्षा, कम रखरखाव, लागत-प्रभावशीलता और इन सबसे ऊपर पारिस्थितिकी संबंधी न्यूनतम प्रभाव के रूप में सर्वश्रेष्ठ नतीजे हासिल किए जाएं।
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