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वित्त मंत्री ने साइबर धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने पर दिया जोर
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आर्थिक समीक्षा – विनिर्माण क्षेत्र में भी उल्‍लेखनीय मजबूती, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग ने समग्र आर्थिक गतिविधियों को सहारा दिया

इण्डो एशियन टाइम्स, ब्यूरो, नई दिल्ली

विभिन्‍न क्षेत्रों में बेहतरी के रुख को ध्‍यान में रखते हुए आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में भी उल्‍लेखनीय मजबूती देखी गई, ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती मांग से समग्र आर्थिक गतिविधियों को आवश्‍यक सहारा मिला और इसके साथ ही तेजी से बढ़ते डिजिटल लेन-देन के रूप में उपभोग संबंधी ढांचागत बदलाव देखने को मिले। समीक्षा में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र की बदौलत वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को कोविड-19 महामारी से लगे तेज झटकों के असर काफी कम हो जाएंगे। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही के साथ-साथ दूसरी तिमाही में भी 3.4 प्रतिशत रही है। सरकार द्वारा लागू किए गए विभिन्‍न प्रगतिशील सुधारों ने जीवंत कृषि क्षेत्र के विकास में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है जो वित्त वर्ष 2020-21 में भी भारत की विकास गाथा के लिए आशा की किरण है।

वित्त वर्ष के दौरान औद्योगिक उत्‍पादन में ‘V’ आकार में बेहतरी देखने को मिली विनिर्माण क्षेत्र ने फिर से तेज रफ्तार पकड़ी। इसी तरह औद्योगिक मूल्‍य या उत्‍पादन फिर से सामान्‍य होने लगा। भारत का सेवा क्षेत्र महामारी के दौरान गिरावट दर्शाने के बाद फिर से बेहतरी के मार्ग पर निरंतर अग्रसर हो गया है। दिसम्‍बर में पीएमआई सेवाओं के उत्‍पादन और नए कारोबार में लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी दर्ज की गई।

जोखिम न उठाने की प्रवृत्ति और कर्जों की घटती मांग के कारण वित्त वर्ष 2020-21 में बैंक कर्जों का स्‍तर निम्‍न स्‍तर पर बना रहा। हालांकि, कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के लिए दिए गए कर्ज अक्‍टूबर 2019 के 7.1 प्रतिशत से बढ़कर अक्‍टूबर 2020 में 7.4 प्रतिशत के स्‍तर पर पहुंच गए। अक्‍टूबर 2020 के दौरान निर्माण, व्‍यापार एवं आतिथ्‍य जैसे क्षेत्रों में कर्ज प्रवाह में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई, जबकि विनिर्माण क्षेत्र में बैंक कर्ज का प्रवाह धीमा ही बना रहा। सेवा क्षेत्र को कर्ज प्रवाह अक्‍टूबर 2019 के 6.5 प्रतिशत से बढ़कर अक्‍टूबर 2020 में 9.5 प्रतिशत हो गया।

खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण ही वर्ष 2020 में महंगाई उच्‍च स्‍तर पर बनी रही। हालांकि, दिसम्‍बर 2020 में महंगाई दर गिरकर 4+/-2 प्रतिशत की लक्षित रेंज में आकर 4.6 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि नवम्‍बर में यह 6.9 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों, मोटे अनाजों और प्रोटीन युक्‍त उत्‍पादों की कीमतों में गिरावट होने और पिछले वर्ष के अपेक्षाकृत कम आंकड़ों से ही संभव हो पाया।

बाह्य क्षेत्र से भी भारत में विकास को काफी सहारा मिला। दरअसल, चालू खाते में अधिशेष वर्ष की प्रथम छमाही के दौरान जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रहा, जो सेवा निर्यात में उल्‍लेखनीय वृद्धि और कम मांग की बदौलत संभव हुआ। इस वजह से निर्यात (वाणिज्यिक निर्यात में 21.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ) की तुलना में आयात (वाणिज्यिक आयात में 39.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ) में तेज गिरावट दर्ज की गई। इसके परिणामस्‍वरूप देश में विदेशी मुद्रा भंडार इतना अधिक बढ़ गया जिससे 18 माह के आयात को कवर किया जा सकता है।

जीडीपी के अनुपात के रूप में बाह्य या विदेशी ऋण मार्च 2020 के आखिर के 20.6 प्रतिशत से मामूली बढ़कर सितम्‍बर 2020 के आखिर में 21.6 प्रतिशत के स्‍तर पर पहुंच गया। हालांकि, विदेशी मुद्रा भंडार में उल्‍लेखनीय वृद्धि की बदौलत विदेशी मुद्रा भंडार और कुल एवं अल्‍पकालिक ऋण (मूल एवं शेष) का अनुपात बेहतर हो गया।

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