Home / National / आर्थिक समीक्षा – नई नीतियों और व्यापार में सुगमता से देश में एफडीआई की प्रवाह दर बढ़ी
वित्त मंत्री ने साइबर धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने पर दिया जोर
वित्त मंत्री ने साइबर धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने पर दिया जोर

आर्थिक समीक्षा – नई नीतियों और व्यापार में सुगमता से देश में एफडीआई की प्रवाह दर बढ़ी

इण्डो एशियन टाइम्स, ब्यूरो, नई दिल्ली

आर्थिक समीक्षा के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-एफडीआई भारत में निवेश और आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रमुख स्रोत है। एफडीआई की प्रवाह दर देश में उत्पादकता को बढ़ाने, कौशल और प्रौद्योगिकी का विकास करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है। सरकार द्वारा नई नीतियों का निर्माण करने और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाने से देश में एफडीआई की प्रवाह दर बढ़ने में काफी सहायता मिली है। कोविद -19 महामारी के दौर में भी भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि दर्ज की गई, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ते विन्यास मे अंतर्राष्ट्रीय विश्वास को व्यक्त करता है। इससे ऐसे आर्थिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त होता है, जो शीघ्र ही देश को नजर आएगा।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2019 की तुलना में वित्त वर्ष 2020 में कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 44.37 अरब अमरीकी डॉलर की जगह 49.98 अरब अमरीकी डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2021 में (सितम्बर 2020 तक) यह 30 अरब अमरीकी डॉलर था। अधिकतर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश गैर-विनिर्माण क्षेत्र में था। विनिर्माण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आई है। विनिर्माण क्षेत्र के अंतर्गत, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार, धातु उद्योग, गैर पारम्परिक ऊर्जा, रसायन (उर्वरक के अतिरिक्त), खाद्य प्रसंस्करण और पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे उद्योगों में ज़्यादातर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ।

भारत सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और मौजूदा संकट से निपटने के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये कई पहल शुरू की हैं। आर्थिक समीक्षा के अनुसार, 6 करोड़ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के साथ यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था का मुख्य स्तम्भ बना हुआ है और रोज़गार सृजन के साथ साथ देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगातार योगदान दे रहा है। इस क्षेत्र में 11 करोड़ से अधिक लोग कार्यरत हैं और यह देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। भारत के कुल निर्यात का आधा हिस्सा इस क्षेत्र का है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह क्षेत्र महत्वपूर्ण योगदान कर रहा है।

राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में एमएसएमई क्षेत्र भी शामिल था। आर्थिक समीक्षा में यह बताया गया- है कि इस क्षेत्र को मार्ग पर लाने के लिये सरकार ने अनेक सुधारात्मक और सहायता प्रदान करने वाले उपाय किये हैं।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन को बढावा देने, विनिर्माण को प्रोत्साहन देने और भारत का निर्यात बढाने के लिये भारत सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तत्वाधान में 10 प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) की शुरुआत की है। यह योजना 1.46 लाख करोड़ रुपये के समग्र अनुमानित व्यय और क्षेत्र निर्दिष्ट वित्तीय सीमाओं के साथ संबंधित मंत्रालयों द्वारा लागू की जाएगी। इन योजनाओं और नीतियों से देश के निर्यात क्षेत्र में विनिर्माण को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

आर्थिक समीक्षा में मजबूत राजकोषीय सहायता, विनिर्माण बुनियादी क्षेत्र के लिए प्रोत्साहन, उचित क्षेत्रों में सार्वजनिक और निजी भागीदारी तथा समग्र आर्थिक विकास और प्रगति को बढ़ावा देने के लिए प्रासंगिक और लगातार जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

Share this news

About desk

Check Also

नौसेना को मिले अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस ‘सूरत’ और ‘नीलगिरी’ जहाज

पारंपरिक और अपारंपरिक खतरों का ‘ब्लू वाटर’ में मुकाबला करने में सक्षम हैं दोनों जहाज …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *